1000 करोड़ का कारोबार ठप, 1 लाख से अधिक लोगों की आजीविका पर संकट – स्टोन क्रेशर संचालकों की हड़ताल ने खड़ा किया बड़ा संकट

मध्यप्रदेश में स्टोन क्रेशर संचालकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने प्रदेशभर में निर्माण कार्यों की रफ्तार को थाम दिया है। विगत दिनों से जारी इस हड़ताल का असर केवल गिट्टी और मुरम की सप्लाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने 1000 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार को ठप कर दिया है और लगभग 1 लाख से अधिक लोगों की आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया है।
बेतरतीब नीतियों के खिलाफ हड़ताल
हड़ताल का आह्वान मध्यप्रदेश स्टोन क्रेशर ओनर्स एसोसिएशन द्वारा किया गया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेशपाल सिंह चावला और महासचिव आलोक गोस्वामी ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन सरकार की जटिल और अस्पष्ट नीतियों के खिलाफ है। मुख्य मांगे हैं:
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रॉयल्टी निर्धारण प्रणाली में पारदर्शिता और सरलीकरण
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स्वामित्व दस्तावेज़ों की प्रक्रिया में संशोधन
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सीमांकन की प्रक्रिया में सुधार और सैटेलाइट सर्वे की विसंगतियों को दूर करना
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पर्यावरण स्वीकृति प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्ध स्वीकृति
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रॉयल्टी क्लीयरेंस प्रणाली में सरलता
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प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी की प्रक्रिया में सुधार
एसोसिएशन का कहना है कि सैटेलाइट सर्वे के कारण सीमांकन में त्रुटियां आ रही हैं, जिससे वैध पट्टाधारकों को अवैध खनन के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण पूरे खनन क्षेत्र में भय और अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
राजस्व और रोजगार दोनों पर बड़ा असर
इस हड़ताल से राज्य सरकार को प्रतिदिन लगभग 2–3 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है। वहीं निर्माण कार्यों के रुक जाने से न केवल निजी निर्माणकर्ताओं को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी परियोजनाओं पर भी बुरा असर पड़ा है। सड़क निर्माण, भवन निर्माण और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स रुक गए हैं। इसके साथ ही जो लोग इस उद्योग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार पाते हैं, उनकी आजीविका पर भी गहरा असर पड़ा है।
सरकार से शीघ्र समाधान की अपील
स्टोन क्रेशर संचालकों ने प्रदेश सरकार से शीघ्र हस्तक्षेप कर इस संकट का समाधान निकालने की अपील की है। उनका कहना है कि यदि शासन द्वारा मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो यह हड़ताल और लंबी खिंच सकती है, जिससे राज्य में निर्माण उद्योग पूरी तरह ठप हो सकता है। एसोसिएशन ने यह भी सुझाव दिया है कि खनिज और राजस्व विभाग एक संयुक्त अभियान चलाकर सीमांकन की विसंगतियों और पर्यावरणीय स्वीकृति की समस्याओं को हल करें।
बैठक में उपाध्यक्ष जितेन्द्र मोहम्मद, रमेश पचौरी, हरितपाल सिंह और सचिव अनभिषेक अग्रवाल भी उपस्थित रहे और सभी ने सरकार से संवाद के लिए सकारात्मक पहल की मांग की।
निष्कर्ष
स्टोन क्रेशर संचालकों की हड़ताल ने मध्यप्रदेश में निर्माण कार्यों और खनन क्षेत्र में एक गहरी रुकावट पैदा कर दी है। यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक संकट में भी तब्दील होता जा रहा है। सरकार को इस मामले को प्राथमिकता देकर त्वरित समाधान निकालना होगा, ताकि राज्य के विकास में कोई रुकावट न आए और हजारों लोगों की रोज़ी-रोटी सुरक्षित रह सके।