मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में मालवा क्षेत्र के आदिवासी अंचल के लिए इंदौर-मनमाड़ रेल परियोजना को ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने बताया कि इस परियोजना से क्षेत्रीय विकास को नई गति मिलेगी और पलायन की समस्या का समाधान होगा। परियोजना के तहत उज्जैन और चार अन्य ज्योतिर्लिंगों को जोड़ा जाएगा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “यह केवल बजट का मामला नहीं है, बल्कि क्षेत्र के विकास का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस रेल परियोजना के माध्यम से उज्जैन और चार अन्य ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने का लक्ष्य है। परियोजना की लागत 18,000 करोड़ रुपये है और इसे 2029 तक पूरा करने की योजना है।” मुख्यमंत्री ने बताया कि परियोजना के तहत 309 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का निर्माण किया जाएगा, जिससे बड़वानी, खरगोन, धार और इंदौर जैसे प्रमुख शहरों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा, महाराष्ट्र के नंदुरबार जैसे क्षेत्रों को भी फायदा होगा। परियोजना ग्वालियर, झांसी, आगरा, कानपुर, लखनऊ और नेपाल तक कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगी।
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी इस परियोजना की महत्वता को मान्यता दी और मध्य प्रदेश में नई रेल लाइनों की संभावनाओं की तलाश की बात की। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस रेल लाइन से आदिवासी क्षेत्रों में विकास होगा, खासकर खनन और कृषि क्षेत्रों में। एक विकास रोड मैप तैयार किया जाएगा और एक आर्थिक कॉरिडोर स्थापित किया जाएगा, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
रेल मंत्री ने प्रेस वार्ता में कहा, “इस परियोजना से लगभग 138 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड की कमी आएगी, जो 5.5 करोड़ पेड़ों को लगाने के बराबर है। इसके साथ ही, 18 करोड़ लीटर डीजल की भी बचत होगी।” उन्होंने परियोजना की औद्योगिक संभावनाओं पर भी जोर देते हुए कहा, “इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन के निर्माण से पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को बड़ा लाभ मिलेगा। यहाँ के प्रमुख उत्पाद जैसे प्याज, फल, सब्जियां, और कपास की सप्लाई चेन में सुधार होगा।” उन्होंने आगे कहा कि यह परियोजना मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों को फायदा पहुंचाएगी। विशेष रूप से, पीथमपुर में महिंद्रा और अन्य कमर्शियल वाहन निर्माता कंपनियों को सीधे एक्सेस मिलेगा। इसके अलावा, स्टील इंडस्ट्रीज और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) के साथ बेहतर कनेक्टिविटी भी स्थापित होगी। परियोजना के एक महत्वपूर्ण पहलू के बारे में बताया कि इसमें एक लंबा टनल पोर्शन भी शामिल होगा। मध्य प्रदेश में लगभग 17.7 किलोमीटर लंबा टनल बनेगा, जो विंध्य की पहाड़ियों, दतिया, चंबल नदी और नर्मदा जैसी प्रमुख नदियों पर बड़े पुलों को भी शामिल करेगा। ग्रामीणों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, परियोजना में 33 फ्लाईओवर और लगभग 62 अंडरपास भी शामिल किए गए हैं, ताकि रेलवे परियोजना से न्यूनतम परेशानी हो और यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके। डॉ. यादव ने परियोजना की विस्तृत योजना और इसके लाभों को क्षेत्रीय विकास, पर्यावरण संरक्षण और औद्योगिक संभावनाओं में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी धन्यवाद दिया, जिन्होंने इस महत्वपूर्ण परियोजना को समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान किया।