26/11 मुंबई हमले की 17वीं बरसी: शहीदों को श्रद्धांजलि, साहस और आतंक का अंत
26/11 मुंबई हमले की 17वीं बरसी: शहीदों को श्रद्धांजलि, साहस और आतंक का अंत

आज 26 नवंबर 2025 को 26/11 मुंबई हमले की 17वीं बरसी है। इस दिन भारत ने अपने 166 नागरिक खो दिए और 300 से अधिक लोग घायल हुए। यह हमला 60 घंटे तक मुंबई और पूरे देश के लिए दहशत का प्रतीक बन गया। ताज होटल, ओबेरॉय, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST), लियोपोल्ड कैफे और नरीमन हाउस—हर जगह गोलियों की गूंज और आतंक का साया था।
सांझ से शुरू हुए इस हमले में नौ आतंकवादी मुंबई शहर में घुस आए और निर्दोष नागरिकों और पर्यटकों पर गोलियां चलाने लगे। घातक हमलों ने पूरे शहर को सन्न कर दिया, और देशभर में लोग टीवी और रेडियो पर लाइव घटनाक्रम सुनकर कांप उठे। नागरिकों और पुलिस बल के बीच घातक संघर्ष ने मुंबई के कई प्रतिष्ठित स्थानों को लड़ाई के मैदान में बदल दिया।
इस भयानक संकट का सामना करने के लिए NSG कमांडो, नेवी MARCOS और मुंबई पुलिस ने मिलकर आतंकवादियों के खिलाफ वीरता दिखाई। नरीमन हाउस में ऑपरेशन एक चुनौतीपूर्ण मिशन था, जिसमें शहीदों का साहस और रणनीति ने आतंकवादियों को पराजित किया। 60 घंटे के भीतर सभी 9 आतंकवादियों को ढेर किया गया और मुंबई में आतंक का अंत हुआ।
आज, 17 साल बाद, देश ने शहीदों को याद करते हुए गेटवे ऑफ इंडिया और 26/11 मेमोरियल पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौकस रही और लोगों ने शांति और साहस का संदेश दिया। शहीदों की याद में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया और दीप प्रज्वलित किए गए।
इस दिन हमें न केवल उन बहादुर नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों को याद करना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान गंवाई, बल्कि उनकी साहसिक कार्रवाई और रणनीति से सीख भी लेनी चाहिए। NSG और MARCOS कमांडो की तैनाती, हमले की जगहों पर घातक रणनीति और बचाव प्रयास आज भी आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की क्षमता का उदाहरण हैं।
26/11 की पूरी टाइमलाइन बताती है कि कैसे मुंबई एक बड़ा आतंकवादी हमले का सामना कर रहा था और कैसे देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक जुट होकर आतंकियों को समाप्त किया। ताज होटल, ओबेरॉय, CST और नरीमन हाउस जैसी जगहों पर शहीद हुए लोग आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। उनका साहस और बलिदान हमें हमेशा याद रहेगा।
आज के दिन हम यह संकल्प लें कि आतंकवाद के खिलाफ हमेशा चौकस रहेंगे, अपने सुरक्षाकर्मियों का सम्मान करेंगे और कभी नहीं भूलेंगे कि मुंबई ने आतंक के खिलाफ कैसे साहसिक संघर्ष किया था।

