पिथमपुर औद्योगिक संचालक संगठन (PASS) ने आज मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपते हुए इंदौर में जी.एस.टी. ट्रिब्यूनल की शीघ्र स्थापना की मांग की। संगठन ने इस संबंध में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उप मुख्यमंत्री देवड़ा को एक महत्वपूर्ण पत्र भी भेजा है।
संगठन के अध्यक्ष अतुल खंडेलवाल और उद्योगपति राजीव खंडेलवाल ने मुलाकात के दौरान बताया कि इंदौर मध्य प्रदेश का आर्थिक केंद्र है और जी.एस.टी. ट्रिब्यूनल की स्थापना के लिए उपयुक्त स्थान है। उन्होंने कहा कि इंदौर राज्य के कुल कर संग्रह में 40% का योगदान करता है। जी.एस.टी. लागू होने के बाद पिछले सात वर्षों में राज्य में 4500 से अधिक जी.एस.टी. प्रकरण विचाराधीन हैं, जिनमें से 60% प्रकरण अकेले इंदौर के हैं। इसके बावजूद, इंदौर को ट्रिब्यूनल या सर्किट बेंच से वंचित रखा गया है।
संगठन की प्रमुख मांगें और तर्क
संगठन ने तर्क दिया कि महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में एक से अधिक ट्रिब्यूनल स्थापित किए गए हैं, जबकि इंदौर जैसे प्रमुख औद्योगिक शहर को यह सुविधा नहीं दी गई है। संगठन का मानना है कि यह स्थिति इंदौर की औद्योगिक और व्यावसायिक भूमिका के साथ न्याय नहीं करती।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि सरकार ने यह मान लिया है कि इंदौर में उच्च न्यायालय की खंडपीठ हैं और करदाता उच्च न्यायालय में जा सकते हैं। हालांकि, जी.एस.टी. विवादों में “क्वेश्चन ऑफ़ लॉ” की स्थिति में ही उच्च न्यायालय का विकल्प उपलब्ध होता है, हर मामले में नहीं। इसलिए, उच्च न्यायालय की खंडपीठ को ट्रिब्यूनल की स्थापना का आधार बनाना तर्कसंगत नहीं है।
संगठन ने सुझाव दिया कि यदि जी.एस.टी. ट्रिब्यूनल की स्थापना में देरी होती है, तो पहले इंदौर में सर्किट बेंच स्थापित की जानी चाहिए। इससे करदाताओं को सुविधा मिलेगी और विवादों का समाधान तेजी से हो सकेगा। संगठन का मानना है कि इंदौर में जी.एस.टी. ट्रिब्यूनल की स्थापना से न केवल कर विवादों का समाधान शीघ्रता से होगा, बल्कि यह मध्य प्रदेश के औद्योगिक विकास में भी सहायक सिद्ध होगा।