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नगर निगम की ‘पीली गैंग’ की कार्रवाई से परेशान व्यापारी – सड़क पर फेंका सामान

नगर निगम की रिमूवल टीम, जिसे स्थानीय लोग “पीली गैंग” के नाम से जानते हैं, एक बार फिर चर्चा में है। सड़क किनारे व्यवसाय कर रहे छोटे व्यापारियों और ठेले वालों पर लगातार की जा रही कार्रवाई ने उन्हें मानसिक रूप से परेशान कर दिया है। हाल ही में गोपुर चौराहे पर एक आइसक्रीम व फालूदा बेचने वाले व्यापारी द्वारा अपनी ही टालकी से सारा सामान सड़क पर फेंकने का वीडियो वायरल हुआ है। यह घटनाक्रम महापौर पुष्यमित्र भार्गव के घर के पास का बताया जा रहा है, जिससे मामला और भी संवेदनशील हो गया है।

व्यापारी की नाराज़गी, सड़क पर फेंका सामान

इस वीडियो में साफ देखा गया कि एक आइसक्रीम बेचने वाला व्यक्ति खुद ही अपनी गाड़ी से सारा सामान निकालकर सड़क पर फेंक रहा है। उसका कहना था कि नगर निगम की पीली गैंग रोज उसे परेशान करती है। व्यापारी ने कहा कि वह रोज़ मेहनत करके व्यापार करता है, लेकिन निगम की टीम बार-बार उसे धमकाती है और गाड़ी हटाने को मजबूर करती है।

नगर निगम कर्मचारियों ने भी बनाया वीडियो

इस घटना की खास बात यह रही कि जब व्यापारी गुस्से में सामान फेंक रहा था, तब नगर निगम के ही कुछ कर्मचारी इस पूरी घटना को अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड करने लगे। इससे राहगीरों को भी काफी परेशानी हुई, क्योंकि बीच सड़क पर जाम की स्थिति बन गई। एक राहगीर ने भी इस पूरी घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया, जो तेजी से वायरल हो गया।

पुराने मामले भी उठे सामने

यह पहला मौका नहीं है जब पीली गैंग की कार्रवाई पर सवाल उठे हों। कुछ दिन पहले महूनाका क्षेत्र में भी एक महिला सब्जी विक्रेता का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उसने निगम कर्मचारियों को जमकर लताड़ लगाई थी। आरोप लगाया गया था कि निगम कर्मियों ने सब्जियों और फलों से भरे टोकरों को जब्त कर लिया और व्यापारियों को गाली-गलौज भी की।

इसी प्रकार देपालपुर के किसान का मामला भी सामने आया है, जहाँ एमआर-10 के पास तरबूज बेचने वाले किसान की गाड़ी से निगम कर्मियों ने न केवल तरबूज फेंक दिए, बल्कि तोल कांटा तक उठाकर ले गए। किसान हाथ जोड़कर विनती करता रहा, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और जन आक्रोश

इस मामले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जमशेद खान ने भी नगर निगम पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने कहा कि गरीब और छोटे व्यापारियों को इस तरह परेशान करना अमानवीय है और प्रशासन को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। महापौर के घर के पास ऐसी घटना होना अपने आप में दर्शाता है कि निगम की कार्रवाई किस हद तक पहुँच चुकी है।

क्या कहता है कानून?

सड़क किनारे अतिक्रमण हटाना नगर निगम की जिम्मेदारी है, लेकिन इसमें मानवीयता और नियमों का पालन अनिवार्य है। व्यापारियों का आरोप है कि बिना किसी नोटिस या वैकल्पिक स्थान दिए निगम की टीम सीधे कार्रवाई करती है, जिससे उनका रोज़गार प्रभावित होता है।

निष्कर्ष

छोटे व्यापारी और फुटपाथ व्यवसायी पहले ही महंगाई और प्रतिस्पर्धा से जूझ रहे हैं। ऐसे में नगर निगम की मनमानी और बार-बार की गई दखलंदाजी उनके लिए दोहरी मार बन गई है। नगर निगम को चाहिए कि वह नियमों के पालन के साथ-साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाए, ताकि रोज़ कमाने-खाने वाले लोगों को राहत मिल सके। वहीं, शासन को भी इस मामले पर जांच कर उचित दिशा-निर्देश जारी करने की ज़रूरत है।

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