इंदौर में ऑटो व ई-रिक्शा चालकों की मनमानी पर रोक लगाने हेतु मीटर अनिवार्यता, पहचान प्रणाली और ट्रैफिक नियमों के पालन की मांगें सामने आईं

इंदौर – शहर में ऑटो और ई-रिक्शा चालकों की मनमानी और असुव्यवस्थित सेवाओं के खिलाफ भा. ग्राहक पंचायत ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में बताया गया है कि शहर में ऑटो चालकों को मीटर का कोई डर नहीं है। वे मनमाने किराये वसूलते हैं और सवारी बैठाने से पहले गंतव्य पूछते हैं, जबकि अन्य शहरों में मीटर चालू करने के बाद ही बातचीत होती है।
ज्ञापन के अनुसार, कम दूरी के लिए भी 150-200 रुपए मांगे जाते हैं, जो पूरी तरह अनुचित और अवैध है। साथ ही कई रिक्शा बिना नंबर प्लेट और पहचान के संचालित हो रहे हैं, जिससे किसी विवाद की स्थिति में जिम्मेदार तय करना मुश्किल हो जाता है। कई ई-रिक्शा 4 की जगह 6-8 सवारी बैठाकर ओवरलोडिंग करते हैं, जिससे न केवल दुर्घटना का खतरा बना रहता है, बल्कि ट्रैफिक जाम भी होता है।
प्रमुख समस्याएं:
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बिना मीटर के किराया वसूलना
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बिना रजिस्ट्रेशन और चालक पहचान पत्र के संचालन
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ओवरलोडिंग और ट्रैफिक नियमों की धज्जियां
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ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की निष्क्रियता
देश के कई शहरों जैसे मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में मीटर आधारित किराया प्रणाली को अनिवार्य किया गया है। वहां ऑटो चालक मीटर बंद कर अतिरिक्त किराया नहीं वसूल सकते, और नियम उल्लंघन पर लाइसेंस निलंबन जैसी कड़ी कार्रवाई होती है।
इंदौर में भी इस तरह की पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की जरूरत है। इससे न केवल यात्रियों को सुरक्षित और न्यायसंगत सेवा मिलेगी, बल्कि शहर में परिवहन प्रणाली भी अधिक सुव्यवस्थित होगी।
ग्राहक पंचायत की प्रमुख मांगें व सुझाव:
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सभी ऑटो रिक्शाओं में मीटर अनिवार्य किया जाए, जो हर हालत में चालू हो और किराया मीटर के आधार पर ही लिया जाए।
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रिक्शा के पीछे रजिस्ट्रेशन नंबर स्पष्ट रूप से लिखा हो और सुरक्षा के दृष्टिकोण से पठनीय हो।
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ड्राइवर की पहचान अनिवार्य हो, और उसकी जानकारी जैसे नाम, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, गाड़ी नंबर, आदि वाहन में चस्पा की जाए।
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ई-रिक्शा में अधिकतम सवारी की सीमा तय की जाए, और नियम के अनुसार ही संचालन की अनुमति हो।
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अनियमितताओं पर ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ द्वारा तत्काल कार्रवाई की जाए, जिसमें चालान, लाइसेंस निलंबन आदि शामिल हो।
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एक हेल्पलाइन नंबर या मोबाइल ऐप विकसित किया जाए, जहां यात्री शिकायत दर्ज कर सकें और उस पर त्वरित कार्रवाई हो।
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हर रिक्शा में इमरजेंसी संपर्क नंबर, GPS ट्रैकर और QR कोड जैसी आधुनिक सुविधा अनिवार्य की जाए, जिससे पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
निष्कर्ष:
इंदौर शहर में बढ़ती जनसंख्या और ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए आवश्यक है कि ऑटो और ई-रिक्शा सेवाओं को संगठित किया जाए। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि चालकों को भी एक स्पष्ट और स्थायी व्यावसायिक प्रणाली प्राप्त होगी। नागरिकों की यह आवाज़ शहर प्रशासन के लिए चेतावनी है कि समय रहते सुधारात्मक कदम उठाए जाएं, अन्यथा स्थिति और बिगड़ सकती है।