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इंदौर नगर निगम को 500 करोड़ के लोन की मंजूरी का इंतजार – विकास कार्यों पर संकट

इंदौर नगर निगम ने शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरी विकास को गति देने के लिए 500 करोड़ रुपये के लोन का प्रस्ताव तैयार किया है। इस लोन का उद्देश्य नगर निगम की पुरानी इमारतों को पुनर्निर्मित करना, नई वर्कशॉप बनाना और प्रमुख फ्लाईओवर परियोजनाओं को पूरा करना है। लेकिन इस पूरी योजना को प्रदेश शासन की मंजूरी का इंतजार है, जो लंबे समय से अटकी हुई है।

मुख्यमंत्री से लेकर विभागीय सचिव तक की गई है बात

नगर निगम के महापौर द्वारा यह प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से 4 अप्रैल 2025 को मुलाकात की गई थी। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही लोन को स्वीकृति दी जाएगी। इसके बाद नगरीय प्रशासन मंत्री और विभाग के प्रमुख सचिव से भी चर्चा की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह प्रतीत होता है कि भोपाल के प्रशासनिक गलियारों में यह फाइल कहीं दबकर रह गई है, और नगर निगम के अधिकारियों की कोशिशें भी बेअसर साबित हो रही हैं। यह स्थिति न केवल इंदौर के विकास को प्रभावित कर रही है, बल्कि प्रशासन की प्राथमिकताओं पर भी सवाल खड़े कर रही है।

लोन का उपयोग किन कार्यों में होगा?

नगर निगम का यह 500 करोड़ रुपये का लोन निम्नलिखित परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा:

  • 300 करोड़ रुपये: नगर निगम की पुरानी बिल्डिंग को हटाकर नई आधुनिक बिल्डिंग का निर्माण।

  • 150 करोड़ रुपये: नई वर्कशॉप्स की स्थापना और आधुनिकीकरण।

  • 50 करोड़ रुपये: सड़क विकास के तहत सिरपुर से चंदन नगर तक फ्लाईओवर का निर्माण।

इन सभी परियोजनाओं का उद्देश्य शहर की सुविधाओं को बेहतर बनाना और आम जनता को आधुनिक शहरी बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराना है। लेकिन राज्य शासन की मंजूरी न मिलने के कारण यह योजना अधर में लटकी हुई है।

निगमायुक्त और अधिकारियों के प्रयास निष्फल

नगर निगम के आयुक्त और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इस लोन को मंजूरी दिलवाने के लिए शासन स्तर पर कई प्रयास किए, लेकिन शासन की ओर से किसी प्रकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। आमतौर पर ऐसे मामलों में नगर निगम अपने स्तर पर निर्णय ले सकता है, लेकिन इस बार शासन से अनुमति अनिवार्य कर दी गई है।

यह मामला प्रशासनिक जटिलताओं और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी का प्रतीक बनता जा रहा है। शहर के नागरिकों और व्यापारिक संगठनों ने भी इस देरी पर चिंता जताई है, क्योंकि इससे आवश्यक विकास कार्यों पर असर पड़ रहा है।

निष्कर्ष

इंदौर नगर निगम का 500 करोड़ रुपये का लोन शहर के विकास के लिए बेहद जरूरी है। इससे न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा बल्कि रोजगार के भी अवसर पैदा होंगे। लेकिन शासन स्तर पर अटकी इस फाइल ने पूरे विकास कार्यक्रम पर ब्रेक लगा दिया है। यदि शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो इंदौर, जो देश के सबसे स्वच्छ और तेजी से बढ़ते शहरों में गिना जाता है, विकास की दौड़ में पीछे छूट सकता है।

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