विजयवर्गीय की लंच पार्टी में परोसा गया सियासी मनमुटाव
पार्टी के भीतर तल्ख़ रिश्तों की भूख मिटा पाने में नाकाम रही मेज़ पर सजी दाल-बाटी

BJP Lunch Party: सियासत में जहां खाने की मेज़ पर संवाद बनते हैं, वहीं इंदौर की दाल-बाटी पार्टी में खामोशी ने गुटों की दीवारें और ऊंची कर दीं। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की पहल पर रविवार को आयोजित भोजन-भाईचारा कार्यक्रम भाजपा के भीतर चल रही गुटबाज़ी को खत्म करने का माध्यम बनना था, लेकिन यह आयोजन सत्ता के गलियारों में उलटे सियासी मनमुटाव की मिसाल बन गया।

कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की दाल-बाटी चूरमा पार्टी में जहां संगठन मंत्री राघवेंद्र गौतम, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक गोलू शुक्ला, महेंद्र हार्डिया, मधु वर्मा और रमेश मेंदोला जैसे करीबी नेता मौजूद रहे, वहीं पार्टी की दिग्गज नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन (ताई), विधायक मालिनी गौड़ (भाभी), उषा ठाकुर (दीदी) और देपालपुर विधायक मनोज पटेल गायब रहे। साफ है, यह अनुपस्थिति कोई सामान्य न थी। यह एक मेसेज था कि इंदौर भाजपा में मन के मेल से ज़्यादा मेल-जोल का संकट है।
पार्टी लाइन से तय योजना थी कि जनप्रतिनिधियों के घर लंच मीटिंग हो और उसमें महापौर, सांसद, विधायक और संगठन के जिम्मेदार नेता एक जाजम पर बैठकर संवाद करें। मगर इंदौर की पहली लंच पार्टी में ही सियासी दरारें इतनी गहराई से उभर आईं कि मिठास से पहले कड़वाहट परोस दी गई। लेकिन, विजयवर्गीय के इस लंच आयोजन में वही नेता नजर आए जो उनके करीबी माने जाते हैं। जबकि चौहान समर्थक कहे जाने वाले विधायक मनोज पटेल, मालिनी गौड़ और उषा ठाकुर ने दूरी बनाए रखी।

जिन्होंने लंच छोड़ा, उनकी राजनीतिक दास्तान
मालिनी गौड़ — कभी पूर्व मंत्री लक्ष्मण सिंह गौड़ की राजनीतिक विरासत संभाल रहीं मालिनी, शुरू से विजयवर्गीय से राजनीतिक दूरी बनाए रहीं। दोनों में कभी मेल नहीं बैठा। शिवराज सरकार में गौड़ को खास स्थान मिला, वहीं विजयवर्गीय लगातार राष्ट्रीय सियासत में बढ़े।
मनोज पटेल — देपालपुर विधायक मनोज पटेल को लेकर मंत्री विजयवर्गीय की टिप्पणी “मनोज पटेल जैसे भी जीत गए” के बाद मामला गरमा गया था। पटेल खेमा खुलकर विरोध में उतरा और सड़कों पर मंत्री का पुतला फूंका गया।
उषा ठाकुर — 2018 में तीन नंबर विधानसभा सीट से हटाकर उन्हें महू भेजा गया। ठाकुर ने तब मंत्री पर सीधे “पुत्र मोह” में सीट बदलवाने का आरोप जड़ा था। तब से दोनों नेताओं के बीच संवाद पूरी तरह ठंडा पड़ चुका है।

इंदौर भाजपा दो गुटों में बंटी
मोटे तौर पर देखा जाये तो इंदौर भाजपा दो गुटों में बंटी हुई है पहला है विजयवर्गीय खेमा जिसमे कैलाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, पुष्यमित्र भार्गव, सुमित मिश्रा है। वही, विरोधी गुट में मालिनी गौड़, उषा ठाकुर, मनोज पटेल है। इधर संतुलन साधने वाले विधायकों में महेंद्र हार्डिया और मधु वर्मा का नाम आता है वही तुलसी सिलावट अलग राह के नेता हैं जो सिंधिया गुट से हैं।
जहां संगठन इस पहल को संवाद और समरसता का नाम दे रहा है, वहीं ज़मीनी राजनीति में यह कोशिश भोजन के बहाने सियासी पहचान तय करने का जरिया बनती दिख रही है। जो गए, उन्होंने अपनी निष्ठा जताई। जो नहीं पहुंचे, उन्होंने अपनी दूरी दर्ज करा दी। इंदौर की भाजपा फिलहाल एक छत के नीचे दो ध्रुवों में बंटी हुई है। लंच की यह थाली संवाद का मंच बन सकती थी, लेकिन फिलहाल यह गुटीय राजनीति का आइना बन गई है। विजयवर्गीय की लंच मेज़ पर सजी दाल-बाटी, पार्टी के भीतर तल्ख़ रिश्तों की भूख मिटा पाने में नाकाम रही।