उत्तरी भारत में आधी रात को भूकंप के झटको से कांपी धरती
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.2 रही

Earthquake: शुक्रवार आधी रात, जब पूरा दिल्ली NCR गहरी नींद में था तभी अचानक धरती कांप उठी। अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर के पास आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.2 मापी गई। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का एपिसेंटर अफगानिस्तान पाकिस्तान बॉर्डर का हिंदूकुश इलाका था। वहीं, इसका असर दिल्ली-एनसीआर, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड तक महसूस किया गया।

हालांकि, अब तक किसी बड़े जान-माल के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई है। प्रशासन सतर्क है और भूकंप से प्रभावित इलाकों से लगातार अपडेट ले रहा है। गुरुग्राम की सड़कों पर हलचल मच गई, घरों की दीवारें हिलने लगीं और लोग घबराकर नींद से उठ खड़े हुए। ये कोई सपना नहीं था बल्कि 6.2 तीव्रता का भूकंप था जिसने उत्तर भारत को हिलाकर रख दिया।
हरियाणा में आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट
गुरुग्राम में भूकंप का समय आधी रात का था, जब ज्यादातर लोग सो रहे थे। इसलिए झटके कई लोगों को महसूस ही नहीं हुए, लेकिन जिन लोगों को झटका लगा, वो दहशत में घर से बाहर निकल आए अच्छी खबर ये रही कि अब तक किसी भी जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप और भारी बारिश की मार झेल रहे हरियाणा में प्रशासन ने तुरंत आपदा प्रबंधन टीमों को अलर्ट कर दिया है। गुरुग्राम जिला प्रशासन का कहना है कि हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि एक महीने पहले ही 22 जुलाई को दिल्ली-NCR और फरीदाबाद में भी भूकंप आया था। उस समय तीव्रता 3.2 रही थी। यानी लगातार धरती का डोलना एक खतरनाक संकेत माना जा रहा है, विशेषज्ञ मानते हैं कि हिंदूकुश क्षेत्र से आने वाले झटके अक्सर उत्तर भारत को हिलाते हैं. ऐसे में लोगों को सजग रहने और आपदा प्रबंधन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है। आधी रात का ये झटका सिर्फ गुरुग्राम ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत के लिए चेतावनी की घंटी है।
अफगानिस्तान में भूकंप से 20 लोगों की मौत
अफगानिस्तान में आए 6.0 तीव्रता के भूकंप ने कुनार और नंगरहार प्रांतों में भारी तबाही मचाई है। अब तक की आधिकारिक जानकारी के मुताबिक 20 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 115 से ज्यादा लोग घायल हैं। कई गांवों में घर जमींदोज़ हो गए हैं, जिनमें तीन गांव पूरी तरह से तबाह बताए जा रहे हैं।

तालिबान सरकार और स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि, असल आंकड़े कहीं अधिक हो सकते हैं, क्योंकि प्रभावित इलाकों तक पहुंचना मुश्किल है। भूस्खलन के कारण सड़कों का संपर्क टूट गया है और राहत कार्य केवल हेलीकॉप्टरों के जरिए ही चल रहा है। कुछ गांवों से ऐसी रिपोर्टें भी आई हैं कि अकेले एक गांव में ही 3 दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए हैं। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और रातें खुले आसमान के नीचे गुजारने को मजबूर हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन दुर्गम इलाके और लगातार आने वाले आफ्टरशॉक्स के चलते स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है।