तिरुपति लड्डू विवाद: जानवर की चर्बी और मिलावटी घी से मंदिर को 250 करोड़ का नुकसान, सांसद और कमेटी पर सवाल
तिरुपति लड्डू विवाद: जानवर की चर्बी और मिलावटी घी से मंदिर को 250 करोड़ का नुकसान, सांसद और कमेटी पर सवाल

तिरुपति, आंध्र प्रदेश – तिरुपति मंदिर का प्रसाद लड्डू हमेशा भक्तों के लिए एक श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक रहा है। लेकिन अब यह प्रतिष्ठित लड्डू विवाद का विषय बन गया है। हाल ही में उजागर हुई रिपोर्ट्स के अनुसार मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डू में जानवर की चर्बी और मिलावटी घी का इस्तेमाल किया जा रहा था। इस खुलासे से न केवल भक्तों में आक्रोश फैल गया है, बल्कि मंदिर कमेटी और सांसद जगनमोहन पर भी सवाल उठने लगे हैं।
सूत्रों के अनुसार, तिरुपति मंदिर की कमेटी पर आरोप है कि उन्होंने लड्डू बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामग्री में सस्ती और घटिया सामग्री का प्रयोग किया, जिससे मंदिर को करीब 250 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि मिलावटी घी और जानवर की चर्बी का इस्तेमाल न केवल धार्मिक भावना के खिलाफ है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है।
मंदिर प्रशासन के भीतर एक आंतरिक जांच के दौरान यह भी पता चला कि कुछ आपूर्ति कंपनियों ने हवाला और ग़ैरकानूनी तरीके से सामग्री की सप्लाई की। इस मामले की गहराई में जाने पर कई बड़े नाम सामने आ रहे हैं। सांसद जगनमोहन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने इस मामले में उचित निगरानी नहीं रखी।
भक्तों और समाज के कई हिस्सों में गहरी नाराजगी है। सोशल मीडिया पर भी यह विवाद तेजी से वायरल हो रहा है। लोग मंदिर प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही धार्मिक स्थलों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती है और भक्तों का विश्वास कमजोर कर सकती है।
मंदिर प्रशासन ने फिलहाल इस मामले पर आधिकारिक बयान देते हुए कहा है कि जांच जारी है और दोषियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह की समस्याओं को रोकने के लिए सख्त गुणवत्ता नियंत्रण और पारदर्शी खरीद प्रणाली लागू की जाएगी।
राजनीतिक दायरे में भी यह मामला गरमाया है। विपक्षी दलों ने सांसद जगनमोहन और मंदिर कमेटी पर संदेह जताया है कि उन्होंने लड्डू निर्माण और सामग्री चयन में चुप्पी साधी। उन्होंने सरकार से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि तिरुपति मंदिर जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व वाले स्थल पर किसी भी तरह की घटिया सामग्री का इस्तेमाल, भक्तों का विश्वास तोड़ सकता है और धार्मिक स्थलों के लिए एक नकारात्मक उदाहरण बन सकता है।
इस विवाद ने यह साफ कर दिया है कि धार्मिक स्थलों पर पारदर्शिता, गुणवत्ता और जिम्मेदारी बहुत जरूरी है। मंदिर प्रशासन और सांसद जगनमोहन को अब इस मामले में जल्द से जल्द स्पष्टता और सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है।





