संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू: SIR पर हंगामे के आसार, कई अहम बिल होंगे पेश
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू: SIR पर हंगामे के आसार, कई अहम बिल होंगे पेश

संसद का शीतकालीन सत्र आज से औपचारिक रूप से शुरू हो गया है और इसके पहले ही दिन सरकार और विपक्ष के बीच टकराव के तीखे संकेत मिल रहे हैं। यह सत्र 19 दिसंबर 2025 तक चलेगा, जिसमें कुल 15 बैठकें निर्धारित हैं। सरकार इस सत्र में 13 अहम विधेयक पेश करने की योजना बना रही है, जिनमें आर्थिक सुधारों, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचे से जुड़े महत्वपूर्ण बिल शामिल हैं। वहीं विपक्ष पहले ही यह साफ कर चुका है कि वह इस सत्र में कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह तैयार है।
विपक्ष का एजेंडा: SIR और वोट चोरी पर हंगामे के संकेत
विपक्ष के निशाने पर सबसे ज्यादा स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया है, जिसे लेकर कई दलों ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विपक्ष का दावा है कि देश के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में SIR के नाम पर मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया जा रहा है। इसके चलते लाखों मतदाताओं के नाम बिना सूचना के काटे जा रहे हैं।
इसी मुद्दे पर कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव भी पेश किया है। उन्होंने इसे ‘अभूतपूर्व संकट’ करार देते हुए कहा कि चुनाव आयोग की यह कार्रवाई लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। टैगोर ने SIR को तुरंत रोकने की मांग की और इसे तानाशाही कदम बताया, जिसने संसद की राजनीति को और अधिक गरमा दिया है।
विपक्ष की मंशा स्पष्ट है—SIR, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक असमानता और किसान मुद्दों पर सरकार को आक्रामक तरीके से घेरना।
सरकार का एजेंडा: 13 बड़े बिल होंगे पेश
सरकार इस शीतकालीन सत्र में 13 विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इनमें से कई बिल सीधे अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं, जिन पर सरकार का कहना है कि देश की प्रगति और सुरक्षा के लिए ये सुधार आवश्यक हैं।
आर्थिक सुधारों से जुड़े बिलों में टैक्स ढांचे में सुधार, ऑनलाइन बिजनेस रेगुलेशन, और डिजिटल फाइनेंशियल सिक्योरिटी जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। वहीं सुरक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बिल सीमा प्रबंधन और आंतरिक सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने पर केंद्रित होगा।
सरकार का दावा है कि ये बिल देश को अगले दशक में वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेंगे। हालांकि विपक्ष पहले ही कह चुका है कि वह “अवाज़ उठाने और जवाब मांगने में पीछे नहीं हटेगा।”
सत्र में टकराव होना तय
ऐसे संकेत हैं कि शीतकालीन सत्र का माहौल काफी गर्म रहने वाला है। विपक्ष की रणनीति स्पष्ट रूप से आक्रामक है और सरकार के एजेंडे में कई ऐसे मुद्दे शामिल हैं जिन पर बहस और विवाद दोनों संभावित हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सत्र आने वाले चुनाव वर्ष को ध्यान में रखकर बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि संसद में उठने वाली बहसें आगामी चुनावी नैरेटिव तय कर सकती हैं।




