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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: डिजिटल अरेस्ट स्कैम की जांच अब CBI करेगी, साइबर फ्रॉड पर nation-wide कार्रवाई तेज

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: डिजिटल अरेस्ट स्कैम की जांच अब CBI करेगी, साइबर फ्रॉड पर nation-wide कार्रवाई तेज

देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर सुप्रीम कोर्ट ने अभूतपूर्व सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने सोमवार को बड़ा आदेश जारी करते हुए इस स्कैम से जुड़े देशभर के सभी मामलों की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी अब एक राष्ट्रीय-स्तर का साइबर खतरा बन चुकी है और अलग-अलग राज्यों में बिखरी जांच से अपराधियों तक पहुंचना कठिन होता जा रहा है।

डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या है?

इस स्कैम में साइबर अपराधी खुद को पुलिस, CBI, RBI अधिकारी या सरकारी एजेंसी बताकर लोगों को वीडियो कॉल पर धमकाते हैं। पीड़ित को यह कहकर मानसिक रूप से दबाव में लाया जाता है कि उसके नाम से कोई अपराध हुआ है, जिसके चलते उसे “डिजिटल अरेस्ट” किया जा रहा है। इसके बाद उससे पैसों की मांग की जाती है और बैंक खाते, UPI या फर्जी एस्क्रो खातों में बड़ी रकम वसूली जाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस धोखाधड़ी को “खतरनाक और अत्यंत संगठित साइबर अपराध” बताया है जो प्रतिदिन हजारों लोगों को निशाना बना रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने आदेश दिया कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम के हर मामले को अब CBI देखेगी और किसी भी राज्य की स्थानीय पुलिस इनमें हस्तक्षेप नहीं करेगी। कोर्ट ने कहा:

  • CBI को बैंक खातों की पूरी जांच करने की खुली छूट होगी।

  • जहां भी साइबर फ्रॉड से जुड़े संदिग्ध खातों का उपयोग मिलता है, वहां बैंक अधिकारियों सहित सभी जिम्मेदार लोगों की जांच होगी।

  • राज्य सरकारें और केंद्र—दोनों को निर्देश दिए गए हैं कि CBI को हर संभव मदद प्रदान की जाए।

  • राज्य स्तर पर दर्ज एफआईआर, केस डायरी और साक्ष्य तुरंत CBI को सौंपे जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, इस स्कैम के मास्टरमाइंड अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए इसे राष्ट्रीय एजेंसी के जरिए ही प्रभावी तरीके से खत्म किया जा सकता है।

साइबर फ्रॉड पर देशव्यापी कार्रवाई तेज

इस आदेश के बाद देशभर में चल रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम मॉड्यूल पर बड़ा असर पड़ेगा। अभी तक इस स्कैम में सैकड़ों भारतीय नागरिक अपनी जीवनभर की कमाई गंवा चुके हैं। पीड़ितों की शिकायतों के बाद भी कई मामलों में अपराधियों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा था, क्योंकि बैंक खातों, नकली कॉल सेंटरों और IP एड्रेस की कड़ियां कई राज्यों और देशों में फैली होती थीं।

CBI अब सभी मामलों को एक जगह समेकित कर जांच करेगी। यह शामिल कर सकता है:

  • फर्जी कॉल सेंटरों का नेटवर्क

  • हवाला और डिजिटल मनी रूट

  • बैंक खाते खोलने वाले बिचौलिए

  • विदेशी नागरिकों की संलिप्तता

  • साइबर तकनीकी टीमों की सहायता

आशा की किरण: पीड़ितों को मिल सकता है न्याय

सुप्रीम कोर्ट के कठोर निर्देशों से यह उम्मीद बढ़ी है कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम में शामिल गिरोहों पर जल्द ही बड़े स्तर पर कार्रवाई होगी। पीड़ितों के पैसे वापस मिलने की संभावना भी CBI की एकीकृत जांच से मजबूत हो सकती है।

यह आदेश देश में साइबर सुरक्षा, डिजिटल फ्रॉड और बैंकिंग पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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