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WFI चुनाव विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने पहलवानों की याचिका खारिज की, बजरंग और विनेश को झटका

WFI चुनाव विवाद: दिल्ली हाईकोर्ट ने पहलवानों की याचिका खारिज की, बजरंग और विनेश को झटका

📌 दिल्ली हाईकोर्ट ने पहलवानों की याचिका खारिज की

भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के हालिया चुनावों को चुनौती देने के लिए शीर्ष पहलवानों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इनमें बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और सत्यवर्त कादियान जैसे दिग्गज पहलवान शामिल थे। इन पहलवानों ने आरोप लगाया था कि चुनाव अच्छे और पारदर्शी माहौल में नहीं हुए थे और चुनाव प्रक्रिया में कई कमियां और अनियमितताएं रही।

हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया, जिससे पहलवानों को बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया क्योंकि याचिकाकर्ता सुनवाई के लिए लगातार उपस्थित नहीं हुए। न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा ने 27 नवंबर को इस मामले पर सुनवाई की, जिसमें देखा गया कि पहलवान पिछली दो सुनवाईयों में शामिल नहीं हुए।


📌 याचिकाकर्ताओं की गैर-उपस्थिति का प्रभाव

कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता इस मामले को आगे ले जाने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इससे साफ हुआ कि पहलवानों की याचिका अस्थायी रूप से ही थी और वे सुनवाई में लगातार गैर-हाजिर रहकर अपने मामले को कमजोर कर रहे थे।

इस वजह से दिल्ली हाईकोर्ट ने WFI चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी और चुनाव परिणाम को वैध माना।


📌 WFI चुनाव और परिणाम

WFI के हालिया चुनाव में संजय सिंह ने अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी। उन्होंने अनीता श्योराण को हराया। अनीता को कई शीर्ष पहलवानों का समर्थन प्राप्त था, जिनमें वही पहलवान शामिल थे जिन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की थी।

चुनाव में विजेता संजय सिंह ने संगठन के अंदर और बाहर दोनों स्तरों पर समर्थन हासिल किया। अदालत की इस निर्णय के बाद अब संगठन में स्थिरता और नेतृत्व पर विवाद खत्म होने की उम्मीद है।


📌 पहलवानों की प्रतिक्रिया और भविष्य

चुनाव प्रक्रिया में खामियों के आरोप लगाने वाले पहलवानों को अब यह स्थिति स्वीकार करनी होगी कि कोर्ट उनके पक्ष में नहीं है। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक जैसे बड़े नामों के लिए यह झटका उनके संगठनात्मक और न्यायिक प्रयासों में चुनौती बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अब WFI का नेतृत्व और संचालन पूरी तरह वैध तरीके से जारी रहेगा, और पहलवानों को अपने विरोध को नए सिरे से रणनीतिक रूप में सोचना होगा।

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