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Rajasthan High Court का फैसला: बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं, शादी की उम्र नहीं मायने

Rajasthan High Court का फैसला: बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं, शादी की उम्र नहीं मायने

Rajasthan High Court का ऐतिहासिक फैसला: बालिग अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं

कोटा, राजस्थान। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और संवैधानिक अधिकारों से जुड़े फैसले में कहा है कि दो बालिग व्यक्ति अपनी मर्जी से लिव-इन संबंध में रह सकते हैं, भले ही उनकी उम्र विवाह योग्य न हो। यह फैसला 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक की सुरक्षा याचिका पर सुनाया गया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि शादी की कानूनी उम्र पूरी न होने के आधार पर किसी के संवैधानिक अधिकारों को सीमित नहीं किया जा सकता। जस्टिस अनूप धंड ने यह भी कहा कि बालिग व्यक्तियों को अपने निजी जीवन और साथी चुनने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिए कि दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और किसी भी तरह की अवांछित हस्तक्षेप से उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ली जाए।


👩‍⚖️ याचिका का विवरण

कोटा निवासी 18 वर्षीय युवती और 19 वर्षीय युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दोनों ने अदालत को बताया कि वे अपनी स्वेच्छा से साथ रह रहे हैं और 27 अक्टूबर 2025 को एक लिव-इन एग्रीमेंट भी किया गया है। उनका कहना था कि उन्हें धमकाया जा रहा है और उनकी सुरक्षा को खतरा है। अदालत ने यह मामला संवैधानिक अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दृष्टिकोण से देखा और इस पर तुरंत सुनवाई की।

जस्टिस धंड ने कहा कि लिव-इन संबंध पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता, और अगर दोनों पार्टियां बालिग हैं और अपनी मर्जी से रहना चाहती हैं, तो उन्हें इसका पूरा अधिकार है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस और स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दोनों की सुरक्षा बनी रहे और कोई बाहरी दबाव उन्हें अलग न कर सके।


⚖️ फैसले का महत्व

यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता, बालिगों के अधिकार और लिव-इन संबंधों पर कानून की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले कई बार समाज में लिव-इन संबंधों को लेकर विवाद होता रहा है, खासकर जब पार्टियों की उम्र कानूनी शादी की उम्र से कम होती है।

राजस्थान हाईकोर्ट का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और व्यक्तिगत स्वायत्तता के अधिकार को मजबूत करता है। अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि दो बालिग व्यक्ति अपनी मर्जी से अपने जीवनसाथी को चुन सकते हैं और लिव-इन में रह सकते हैं।

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