इंदौर में थाने के आरक्षक पर गंभीर आरोप, पत्नी ने दर्ज कराई FIR
इंदौर में थाने के आरक्षक पर गंभीर आरोप, पत्नी ने दर्ज कराई FIR

इंदौर शहर में एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आजाद नगर थाने में पदस्थ आरक्षक त्रिलोक मंडवाल पर उनकी पत्नी पूजा गुर्जर ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पूजा ने बाणगंगा थाने में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके पति का एक अन्य महिला के साथ अवैध संबंध है और विरोध करने पर वह उन पर मारपीट करता है तथा जान से मारने की धमकी देता है।
पूजा के अनुसार, हाल ही में त्रिलोक और उनकी गर्लफ्रेंड ने पूजा, उनकी मां और बहन को गालियां दीं और हेलमेट से हमला कर पीटा। इस घटना ने इलाके में काफी हलचल मचा दी है और पुलिस प्रशासन सक्रिय होकर मामले की जांच में जुट गया है।
पूजा गुर्जर ने आरोप लगाया कि त्रिलोक ने अवैध संबंधों के चलते उन्हें जबरन गर्भपात भी करवाया। इसके बावजूद उनकी 11 साल पुरानी लव मैरिज से एक बेटी है। लेकिन त्रिलोक ने बिना तलाक लिए दूसरी महिला के साथ किराए के फ्लैट में रहना शुरू कर दिया। इस मामले ने न केवल पारिवारिक विवाद की स्थिति पैदा की है, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर अनुशासन और नैतिकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस ने पूजा की शिकायत के आधार पर त्रिलोक और उनकी गर्लफ्रेंड के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। बाणगंगा थाने के अधिकारी मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई में लगे हैं। पुलिस का कहना है कि सभी पक्षों से बयान लिए जा रहे हैं और आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
इस घटना ने शहर के लोगों में भी चिंता पैदा कर दी है। अक्सर पुलिसकर्मियों को रक्षक के रूप में देखा जाता है, लेकिन इस मामले में वही रक्षक भक्षक बन गया। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में पारिवारिक हिंसा के साथ-साथ आधिकारिक पद का दुरुपयोग भी देखने को मिलता है, इसलिए त्वरित और निष्पक्ष जांच आवश्यक है।
पूजा ने मीडिया को बताया कि उनके परिवार को कई बार जान का खतरा महसूस हुआ और उन्होंने सुरक्षा की भी मांग की है। पुलिस ने इस मामले में परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी कदम उठाए हैं।
इंदौर प्रशासन ने भी मामले पर नजर बनाए रखी है। अधिकारियों का कहना है कि जांच निष्पक्ष रूप से की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। स्थानीय लोग इस घटना से काफी स्तब्ध हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय मिलेगा।
यह मामला इस बात की याद दिलाता है कि किसी भी पेशेवर या सरकारी पद पर होने वाला व्यक्ति व्यक्तिगत जीवन में भी कानून और नैतिकता का पालन करे। आम नागरिक और परिवार की सुरक्षा प्राथमिकता होनी चाहिए।

