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बंगाल में निलंबित TMC विधायक ने बाबरी मस्जिद की नींव रखी, दो लाख से अधिक लोग हुए शामिल

बंगाल में निलंबित TMC विधायक ने बाबरी मस्जिद की नींव रखी, दो लाख से अधिक लोग हुए शामिल

मुर्शिदाबाद, पश्चिम बंगाल: मुर्शिदाबाद जिले के बेलदंगा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और विवादास्पद धार्मिक आयोजन हुआ, जिसमें निलंबित टीएमसी विधायक हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद की नींव रखी। इस अवसर पर स्थानीय मौलवियों की उपस्थिति में फीता काटने की रस्म पूरी की गई और इस आयोजन में दो लाख से अधिक लोग ईंटें लेकर पहुंचे, जिन्हें मस्जिद निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

यह घटना राजनीतिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील मानी जा रही है। हुमायूं कबीर, जो टीएमसी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, फिलहाल निलंबित हैं, उनके इस कदम ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने आयोजन स्थल पर पहुंचकर नींव रखी और मौलवियों के साथ मिलकर फीता काटने की रस्म अदा की।

स्थानीय प्रशासन ने भी इस आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था के लिए विशेष तैयारी की थी। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचाव के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की। इसके बावजूद भारी भीड़ और उत्साह ने आयोजन स्थल को जीवंत बना दिया।

आयोजन में शामिल लोगों ने उत्साहपूर्वक ईंटें मस्जिद निर्माण स्थल पर रखीं। यह दर्शाता है कि स्थानीय समुदाय इस धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए उत्साहित और प्रतिबद्ध है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद निर्माण क्षेत्र में शांति और सद्भाव बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस कदम से बंगाल की राजनीतिक परिस्थितियों पर प्रभाव पड़ सकता है। टीएमसी और बीजेपी दोनों ही इस मामले को लेकर अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा नेताओं ने इस आयोजन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इस प्रकार के धार्मिक और राजनीतिक कदमों से क्षेत्र में संवेदनशीलता बनी रह सकती है।

हालांकि, हुमायूं कबीर ने अपने भाषण में सभी समुदायों से शांति और सहयोग बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि मस्जिद का निर्माण धार्मिक आस्था का प्रतीक है और इसे लेकर किसी भी प्रकार की हिंसा या विवाद नहीं होना चाहिए।

इस आयोजन के दौरान स्थानीय मीडिया और सोशल मीडिया पर भी बड़ी हलचल देखी गई। वीडियो और तस्वीरें तेजी से वायरल हुईं और लोगों ने इस ऐतिहासिक क्षण को साझा किया।

बंगाल में धार्मिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य दोनों के दृष्टिकोण से यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आगामी दिनों में इस मसले पर राजनीतिक बयानबाजी और मीडिया कवरेज बढ़ने की संभावना है।

यह आयोजन दर्शाता है कि बंगाल में धार्मिक स्थलों के निर्माण और राजनीतिक हस्तक्षेप के बीच संतुलन बनाए रखना कितना चुनौतीपूर्ण है। प्रशासन, स्थानीय समुदाय और राजनीतिक दलों की भूमिका इस प्रक्रिया में निर्णायक होगी।

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