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संसद में अमित शाह और राहुल गांधी में तीखी बहस, गृहमंत्री बोले- भाषण का क्रम मैं तय करूंगा

संसद में अमित शाह और राहुल गांधी में तीखी बहस, गृहमंत्री बोले- भाषण का क्रम मैं तय करूंगा

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र में आज का दिन सबसे गर्मागर्म रहा। लोकसभा में वोटर सूची पुनरीक्षण यानी SIR और कथित वोट चोरी के मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस देखने को मिली। खासकर गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच नोकझोंक ने संसद का माहौल और गरमा दिया।

आज की बहस की शुरुआत SIR पर हुई, जिसे विपक्ष लगातार ‘वोट चोरी का औजार’ बता रहा है। राहुल गांधी ने जोर देकर सरकार पर आरोप लगाया कि इस प्रणाली का इस्तेमाल मतदाता अधिकारों के खिलाफ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आम जनता की आवाज़ दबाई जा रही है और इस तरह के कदम लोकतंत्र के लिए खतरनाक हैं। राहुल गांधी ने सदन में कई आंकड़े पेश किए और सवाल उठाए कि वोटर सूची की गहन समीक्षा में कितनी पारदर्शिता है।

इस पर गृहमंत्री अमित शाह ने तीखे अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर सांसद को बोलने का अधिकार है, लेकिन मेरे भाषण का क्रम मैं तय करूंगा। गृह मंत्री ने राहुल गांधी के आरोपों को सीधे तौर पर खारिज करते हुए कहा कि SIR प्रणाली पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वोटर सूची की समीक्षा जनता के हित में की जा रही है और किसी भी राजनीतिक दल को इसे ‘वोट चोरी’ कहने का अधिकार नहीं है।

अमित शाह ने सदन में कहा, “कोई भी व्यक्ति मुझे यह डिक्टेट नहीं कर सकता कि मैं कब और क्या बोलूंगा। यह गृहमंत्री और वक्ता के अधिकार का हिस्सा है।” उन्होंने अपने जवाबों में साफ किया कि सरकार की नीतियों और प्रक्रियाओं पर जो भी सवाल उठेंगे, उसका उत्तर लोकतांत्रिक ढंग से दिया जाएगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बहस न केवल SIR और वोटर सूची के मुद्दे को लेकर महत्वपूर्ण थी, बल्कि राजनीतिक तनाव और विपक्ष के हमलों के दौरान सरकार की प्रतिक्रिया को भी स्पष्ट करती है। सोशल मीडिया पर भी यह बहस चर्चा में रही। कई यूजर्स ने अमित शाह के जवाबों को मजबूती से पेश किए गए तर्कों के रूप में सराहा, वहीं कुछ ने राहुल गांधी की चिंताओं पर ध्यान देने की जरूरत बताई।

इस बहस से यह भी संकेत मिलता है कि आगामी चुनावों में SIR और वोटर सूची के मुद्दे मुख्य बहस का हिस्सा बन सकते हैं। दोनों पक्षों ने अपने दृष्टिकोण स्पष्ट किए, जिससे जनता और मतदाता पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।

संसद में आज की बहस यह साफ कर गई कि लोकतंत्र में विपक्ष और सरकार के बीच बहस और आलोचना का महत्व है, लेकिन इसे संयम और तथ्यों के आधार पर रखना जरूरी है।

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