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दिल्ली ब्लास्ट की कश्मीर में बनी प्लानिंग: अल-फलाह यूनिवर्सिटी से ट्रेनिंग, नूंह बना छुपने का अड्डा; मॉड्यूल पकड़ा तो उमर को बनाया सुसाइड बॉम्बर

दिल्ली ब्लास्ट की कश्मीर में बनी प्लानिंग: अल-फलाह यूनिवर्सिटी से ट्रेनिंग, नूंह बना छुपने का अड्डा; मॉड्यूल पकड़ा तो उमर को बनाया सुसाइड बॉम्बर

दिल्ली ब्लास्ट केस की जांच ने एक बड़ा खुलासा किया है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस पूरी साजिश की प्लानिंग कश्मीर में बैठकर तैयार की गई, जबकि आरोपियों ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी को ट्रेनिंग लोकेशन और हरियाणा के नूंह जिले को सुरक्षित शेल्टर के रूप में इस्तेमाल किया। मॉड्यूल का नेटवर्क इतना गहरा था कि पकड़े जाने के डर से आतंकी उमर को सुसाइड बॉम्बर तक बना दिया गया था।

जांच अधिकारियों के अनुसार, यह मॉड्यूल कई महीनों से सक्रिय था। कश्मीर में बैठे हैंडलर ने पूरी ऑपरेशनल योजना तैयार की थी। सबसे पहले आतंकियों को दक्षिण हरियाणा स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी में तकनीकी ट्रेनिंग दी गई, जहां ब्लास्ट डिवाइस तैयार करने, टाइमर फिट करने और लो-इंटेंसिटी व हाई-इंटेंसिटी बमों के बीच अंतर समझाने की ट्रेनिंग दी गई। इस यूनिवर्सिटी परिसर के कुछ हिस्सों का दुरुपयोग करते हुए आरोपियों ने यहां ‘सेफ ज़ोन’ बनाया था ताकि उन पर किसी की नजर न पड़े।

इसके बाद आतंकियों ने नूंह को अपना बेस कैंप बनाया। नूंह के कई इलाके पहाड़ी और घने होने के कारण छिपने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। इंटरसेप्टेड चैट्स से पता चला कि आरोपी दिल्ली आने-जाने के लिए नूंह को ट्रांज़िट पॉइंट की तरह इस्तेमाल करते थे। यहां से वे बिना शक के दिल्ली तक आसानी से पहुंच पा रहे थे।

जांच में सामने आया कि मॉड्यूल की गतिविधि बढ़ने लगी थी और सुरक्षा एजेंसियां इनकी लोकेशन पर करीब पहुँच रही थीं। इसी बीच हैंडलरों को शक हो गया कि नेटवर्क जल्द उजागर हो सकता है। ऐसे में उन्होंने योजना बदल दी और आतंकी उमर को “वन-वे मिशन”, यानी सुसाइड बॉम्बिंग के लिए तैयार किया। उमर को इसके लिए मानसिक और तकनीकी दोनों ही तरह से तैयार किया जा रहा था। उसे दिल्ली में किसी भी भीड़भाड़ वाले इलाके में आत्मघाती हमला करने का निर्देश दिया गया था।

जांच एजेंसियों का मानना है कि मॉड्यूल की शुरुआत छोटे-स्तर की हिंसा से होनी थी, और जैसे-जैसे संगठन फैलता, इसे बड़े हमलों तक ले जाया जाता। ब्लास्ट के लिए भेजे गए वीडियो ट्यूटोरियल, पाकिस्तान से आए तकनीकी निर्देश और कश्मीर से समन्वय ने इस मामले को और संवेदनशील बना दिया है।

फिलहाल यह साफ हो गया है कि ब्लास्ट सिर्फ स्थानीय स्तर का अपराध नहीं था, बल्कि यह एक इंटरलिंक्ड मॉड्यूल था जिसमें कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली के बीच समन्वय चल रहा था। कई आरोपी अब भी फरार हैं और सुरक्षा एजेंसियों ने इनके नेटवर्क को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू कर दिया है।

इस केस ने एक बार फिर दिखा दिया है कि आतंकी संगठन अब शिक्षण संस्थानों, सोशल मीडिया और ग्रामीण इलाकों को ट्रेनिंग व सेफ हाउस के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

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