पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन
गोवा, मेघालय और जम्मू कश्मीर के रह चुके राज्यपाल

Satyapal Malik Death: देश जहाँ एक बड़े नेता के निधन से उभरा भी नहीं था की वहीँ, एक और वरिष्ठ नेतृत्व से विहीन हो गया। दिल्ली के राममनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मंगलवार दोपहर 1:20 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे।

11 मई को हालत, ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद आज अचानक तबियत बिगड़ने से 79 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। सत्यपाल मलिक अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते थे। उनके निधन से राजनीतिक और प्रशासनिक जगत में शोक की लहर है। उनके अंतिम संस्कार को लेकर जानकारी जल्द साझा की जाएगी।
सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर
सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल कि, वर्ष 1968-69 में, मेरठ विश्वविद्यालय के छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। जिससे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई, राजनेता के रूप में उनका पहला प्रमुख कार्यकाल 1974-77 के दौरान उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में रहा।

वे 2018 से 2019 तक जम्मू और कश्मीर के 10वें और अंतिम राज्यपाल रहे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। वे 1974-77 में उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे। 1980-86 और 1986-89 में राज्यसभा और 1989-91 में 9वीं लोकसभा के सदस्य रहे। बिहार के राज्यपाल भी रहे।
लोकदल छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए
1980 में चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाले लोकदल ने राज्यसभा के लिए नामित किया। लेकिन 1984 में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें 1986 में राज्यसभा भेजा। बोफोर्स घोटाले का खुलासा होने के बाद उन्होंने 1987 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और वी.पी. सिंह के साथ जुड़ गए। 1989 में, उन्होंने जनता दल के उम्मीदवार के रूप में अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता और 1990 में, कुछ समय के लिए केंद्रीय संसदीय कार्य और पर्यटन राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया।

तीन राज्यों के बने राज्यपाल
सत्यपाल मलिक अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के अंतिम राज्यपाल रहे। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करके उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। संयोग की बात है कि, आज ही इस फैसले की छठी वर्षगांठ है और इसी दिन सत्यपाल मलिक ने अंतिम सांस ली।

वह अक्टूबर 2017 से अगस्त 2018 तक बिहार के राज्यपाल रहे। उन्हें 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक ओडिशा के राज्यपाल के रूप में कार्य करने का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया। जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने के बाद सत्यपाल मलिक को गोवा का 18वां राज्यपाल नियुक्त किया गया, उन्होंने अक्टूबर 2022 तक मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।