कैसे बने श्रीगणेश देवताओं में प्रथम पूज्य
भगवान शिव ने शुरू की थी ये अनोखी प्रतियोगिता

Ganesh Chaturthi 2025: इस बार गणेश चतुर्थी के पावन पर्व की शुरुआत 27 अगस्त 2025, बुधवार से होगी और समापन 8 सितंबर, सोमवार को होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।

भारतीय संस्कृति में जब भी किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत होती है, तो सबसे पहले गणपति बप्पा का स्मरण किया जाता है। लोग शुभारंभ से पहले ‘श्रीगणेशाय नमः’ लिखते हैं, संकल्प करते हैं और उनका नाम लेकर कार्य शुरू करते हैं। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, लगभग हर कोई जानता है कि गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है। लेकिन इसके पीछे का कारण और पौराणिक रहस्य बहुत कम लोग जानते हैं।
भगवान शिव ने शुरू की थी ये अनोखी प्रतियोगिता
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवताओं के बीच यह विवाद उत्पन्न हुआ कि मनुष्य लोक में सबसे पहले किस देवता की आराधना होनी चाहिए। हर देवता अपने-आपको श्रेष्ठ बताने लगे थे, स्थिति गंभीर होते देख नारद मुनि ने देवताओं को सलाह दी कि वे भगवान शिव के पास जाकर इसका मसले को सुलझाएं। जब सभी देवता कैलाश पहुंचे, तो शिवजी ने झगड़े को सुलझाने के लिए एक अनोखी प्रतियोगिता रखी थी। उन्होंने कहा – ‘तुम सब अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा करो जो सबसे पहले लौटकर आएगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा।’

श्रीगणेश की अद्भुत सोच
प्रतियोगिता शुरू होते ही सभी देवता अपने-अपने वाहन लेकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े, गणेश जी भी इस प्रतियोगिता में शामिल थे। लेकिन गणेश जी केवल बल के देवता नहीं, बल्कि बुद्धि और विवेक के प्रतीक भी हैं। वे बाकी देवताओं की तरह वाहन लेकर ब्रह्मांड की परिक्रमा के लिए नहीं गए, गणेश जी के लिए उनके “माता-पिता ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड हैं। अर्थात शिव-पार्वती का ही पूजन समस्त लोकों के पूजन के समान है।” यह सोचकर उन्होंने अपने माता-पिता की सात परिक्रमा की और उनके चरणों में विनम्रता से खड़े हो गए।

भगवान शिव का निर्णय
जब बाकी देवता ब्रह्मांड की परिक्रमा करके लौटे, तब उन्होंने देखा कि गणेश जी पहले से शिव-पार्वती के सामने खड़े हैं। शिवजी ने सभी को घोषणा कि, गणेश जी इस प्रतियोगिता के विजेता हैं और आज से हर शुभ कार्य से पहले उन्हीं की पूजा की जाएगी। देवता हैरान हुए और कारण पूछा – तब भगवान शिव ने समझाया ‘माता-पिता समस्त लोकों और समस्त देवताओं से भी श्रेष्ठ स्थान रखते हैं। गणेश ने अपनी बुद्धि और भक्ति से यह सत्य सिद्ध किया है इसलिए वही सर्वप्रथम पूज्य होंगे।’
तभी से गणेश जी को ‘विघ्नहर्ता’ का सम्मान मिला था। माना जाता है किम, यदि किसी भी कार्य की शुरुआत में उनका स्मरण किया जाए तो सारी बाधाएँ दूर होती हैं और कार्य सफल होता है। गणपति का पूजन न केवल विघ्न दूर करता है, बल्कि घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।
