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IIT इंदौर की SAKSHAM परियोजना: युवा रिसर्चर्स के लिए नई उम्मीद, 6 विश्वविद्यालयों को मिला हाई-टेक सहयोग

IIT इंदौर की SAKSHAM परियोजना: युवा रिसर्चर्स के लिए नई उम्मीद, 6 विश्वविद्यालयों को मिला हाई-टेक सहयोग

भारत में रिसर्च और इनोवेशन को नई दिशा देने की कोशिशें अब और तेज हो गई हैं। इसी कड़ी में IIT इंदौर की ₹100 करोड़ की SAKSHAM परियोजना ने देशभर के युवा शोधकर्ताओं, छात्रों और उभरते विश्वविद्यालयों को एक नई ऊर्जा दी है। इस परियोजना का उद्देश्य छोटे और विकसित हो रहे संस्थानों को बड़े स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराना है, ताकि रिसर्च केवल संसाधन संपन्न संस्थानों तक सीमित न रहे, बल्कि हर प्रतिभाशाली छात्र तक पहुँचे।

SAKSHAM परियोजना के तहत देश के छह प्रमुख विश्वविद्यालयों—बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV), IIT भोपाल, NIT कुरुक्षेत्र, RTM नागपुर और विक्रम विश्वविद्यालय—को मेंटरिंग, तकनीकी मार्गदर्शन और अत्याधुनिक लैब सपोर्ट मिला है। यह सहयोग न सिर्फ छात्रों बल्कि युवा वैज्ञानिकों के लिए भी नए अवसरों के द्वार खोल रहा है।

परियोजना तीन प्रमुख रिसर्च क्षेत्रों पर केंद्रित है—
1. पर्यावरणीय सततता (Environmental Sustainability)
इन शोधों का उद्देश्य प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा करते हुए नए, टिकाऊ समाधान विकसित करना है।

2. एडवांस्ड मटेरियल (Advanced Materials)
स्मार्ट मटेरियल, नैनो टेक्नोलॉजी और नई वैज्ञानिक खोजों पर आधारित रिसर्च यहां शामिल हैं।

3. स्वास्थ्य और मेडिकल टेक्नोलॉजी (Health & Medical Technology)
मेडिकल इनोवेशन और हेल्थ साइंस में आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देना SAKSHAM का बड़ा लक्ष्य है।

हाल ही में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर में Sophisticated Instrumentation Centre (SIC) का भव्य उद्घाटन हुआ, जो इस परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस केंद्र में हाई-टेक वैज्ञानिक उपकरण, उन्नत लैब्स और अत्याधुनिक रिसर्च सेटअप उपलब्ध कराया गया है। अब DAVV और आसपास के संस्थानों के छात्र महंगे उपकरणों और विश्लेषण तकनीकों का उपयोग आसानी से कर सकेंगे, जो पहले केवल बड़े राष्ट्रीय संस्थानों में उपलब्ध थे।

IIT इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि SAKSHAM छात्रों और शोधकर्ताओं को “नई दिशा और बड़े अवसर” दे रहा है। वहीं ANRF के CEO डॉ. शिवकुमार कल्याणारामन ने इसे एक ऐसी पहल बताया जिसे देश की अन्य राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए मॉडल के रूप में अपनाया जा सकता है।

SAKSHAM परियोजना युवा शोधकर्ताओं के लिए यह संदेश देती है कि रिसर्च अब कठिन, दूर या सीमित संसाधनों का खेल नहीं रहा। भारत में बड़े और छोटे सभी संस्थानों को एक साथ जोड़कर एक बड़े रिसर्च नेटवर्क की नींव रखी जा रही है। अब किसी भी छात्र का आइडिया सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रहेगा—उसे संसाधन, मार्गदर्शन और असली रिसर्च प्लेटफॉर्म भी मिलेगा।

अगर आप भी रिसर्च, इनोवेशन या टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ने का सपना रखते हैं, तो IIT इंदौर की यह पहल साबित करती है कि भारत अब तेजी से रिसर्च-फ्रेंडली इकोसिस्टम की ओर बढ़ रहा है।

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