टॉप-न्यूज़राजनीतिविदेश

भारत-रूस संबंधों पर किसी देश का वीटो स्वीकार्य नहीं, पुतिन की यात्रा पर US को जयशंकर की दो टूक

भारत-रूस संबंधों पर किसी देश का वीटो स्वीकार्य नहीं, पुतिन की यात्रा पर US को जयशंकर की दो टूक

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हाल ही में भारत यात्रा के बाद, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-रूस संबंधों पर किसी भी देश के वीटो को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत अपनी विदेश नीति स्वतंत्र रूप से निर्धारित करता है और किसी भी बाहरी दबाव में नहीं आएगा। यह बयान ऐसे समय में आया है, जब पुतिन की यात्रा को लेकर अमेरिका में नाराजगी के संकेत मिल रहे हैं।

जयशंकर ने बताया कि भारत और रूस के बीच संबंध दशकों पुराने हैं और दोनों देशों के हित में मजबूत बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर हमेशा कायम रहेगा और किसी भी देश की कूटनीति किसी अन्य देश को खुश करने के लिए नहीं हो सकती। उनका यह बयान अमेरिका को एक सख्त संदेश माना जा रहा है, जो पुतिन के भारत दौरे से असंतुष्ट प्रतीत हो रहा है।

विदेश मंत्री ने एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि “किसी भी देश के लिए यह सही नहीं है कि वह भारत और रूस के बीच के रिश्तों पर वीटो लगाए। भारत हमेशा अपने हितों और राष्ट्रीय लाभ के लिए खड़ा रहेगा। हमारी नीति किसी अन्य देश की भावनाओं के अनुसार नहीं होती।” जयशंकर के इस बयान से यह साफ हो गया कि भारत अपनी रणनीतिक साझेदारी में किसी भी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।

पुतिन की यात्रा और भारत-रूस सहयोग:
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार और शुक्रवार को भारत का दौरा किया। इस दौरान दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर सहमति जताई। इस दौरे को लेकर भारत और रूस के रिश्तों में मजबूती और नई ऊर्जा देखने को मिली। जयशंकर ने कहा कि जियोपॉलिटिक्स के उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत और रूस के संबंध सबसे बड़े और स्थायी रहे हैं।

जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के रिश्तों की मजबूती को केवल अमेरिका या अन्य देशों की प्रतिक्रिया से प्रभावित नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया ने पिछले 70-80 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी हमेशा बनी रही है।

अमेरिका की संभावित नाराजगी:
जब विदेश मंत्री से पूछा गया कि क्या पुतिन की यात्रा से भारत-यूएस संबंधों में जटिलता आएगी, तो उन्होंने जवाब दिया कि वह पश्चिमी मीडिया के निष्पक्ष मूल्यांकन पर निर्भर नहीं होंगे। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों के लिए खड़ा रहेगा और किसी भी निर्णय को किसी अन्य देश की खुशी के लिए प्रभावित नहीं किया जाएगा।

जयशंकर ने जोर देते हुए कहा, “भारत को अपने फायदे और हितों के लिए हमेशा खड़ा होना होगा। हमारी नीति पूरी तरह स्वतंत्र है और हम किसी के दबाव में नहीं आएंगे। रूस के साथ हमारे संबंध दशकों पुराने हैं और यह साझेदारी रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।”

भविष्य की दिशा और रणनीति:
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि पुतिन ने अमेरिका के साथ भारत की बातचीत में कोई कमी नहीं देखी है। साथ ही उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ भारत की ट्रेड डील जल्द ही पूरी होने वाली है। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि भारत सभी बड़े देशों के साथ संतुलित और स्वतंत्र संबंध बनाए रखना चाहता है।

जयशंकर का संदेश स्पष्ट है कि भारत-रूस संबंध किसी भी बाहरी दबाव के अधीन नहीं होंगे। यह बयान वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक स्वतंत्रता और रणनीतिक निर्णय क्षमता को प्रदर्शित करता है। भारत न केवल अपने हितों के लिए खड़ा रहेगा, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में भी अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखेगा।

पुतिन की यात्रा और जयशंकर के बयान से यह साफ हो गया कि भारत-रूस संबंध किसी भी देश की राजनीतिक या कूटनीतिक इच्छाओं से प्रभावित नहीं होंगे। भारत हमेशा अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के मार्ग पर अग्रसर रहेगा और सभी अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखेगा।

MORE NEWS>>>वृंदावन के कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा शर्मा की वैदिक शादी: देखें पहली तस्वीरें, 3 घंटे तक चलीं मुख्य रस्में

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close