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इंदौर में फर्जी अस्पतालों पर हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई, स्वास्थ्य विभाग को 6 हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने का आदेश

इंदौर में फर्जी अस्पतालों पर हाईकोर्ट की सख्त कार्रवाई, स्वास्थ्य विभाग को 6 हफ्ते में रिपोर्ट सौंपने का आदेश

इंदौर – इंदौर हाईकोर्ट ने शहर में बिना पंजीकरण और लाइसेंस के संचालित होने वाले फर्जी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। यह मामला सिटिजन पब्लिक इंटरेस्ट पिटीशन (PIL) के माध्यम से हाईकोर्ट में सामने आया, जिसमें नागरिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के गंभीर सवाल उठाए गए।

हाईकोर्ट में वकील चर्चित शास्त्री ने बताया कि इंदौर में कई ऐसे अस्पताल लगातार जाली दस्तावेजों के आधार पर संचालित हो रहे हैं। इन अस्पतालों में मरीजों का इलाज और दवा वितरण भी किया जा रहा है, लेकिन ये पूरी तरह अवैध और असुरक्षित हैं।

सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे और अदालत को नकली अस्पतालों से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत किए गए। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए क्योंकि इससे नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य पर खतरा है।

अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), इंदौर ने इन फर्जी अस्पतालों की जांच शुरू कर दी है। यह जांच लगभग 6 सप्ताह में पूरी होने की संभावना है। जांच में फर्जी दस्तावेज, संचालन प्रक्रिया और अस्पतालों की वैधता की पूरी समीक्षा शामिल होगी।

हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि:

  1. सभी फर्जी अस्पतालों की पहचान की जाए।

  2. उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई तुरंत की जाए।

  3. जांच की रिपोर्ट 6 हफ्ते के भीतर अदालत में पेश की जाए।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे अस्पताल नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है और दवा व उपचार की गुणवत्ता पर भी संदेह होता है। यह कदम स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

इस आदेश से इंदौर में मरीजों और आम जनता के लिए राहत की उम्मीद है। अब फर्जी अस्पतालों के संचालकों को कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराया जा सकेगा। हाईकोर्ट का यह फैसला यह सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य सेवाएं मानक और वैध होनी चाहिए।

संक्षेप में, इंदौर हाईकोर्ट ने फर्जी अस्पतालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है और स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है कि वे 6 हफ्ते में पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। यह कदम न केवल कानून के उल्लंघन को रोकने के लिए है बल्कि नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा करने के लिए भी अहम है।

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