इंदौर सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं, 8 महीने की बच्ची की हालत गंभीर
इंदौर सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं, 8 महीने की बच्ची की हालत गंभीर

इंदौर के सरकारी अस्पतालों में गंभीर व्यवस्थाओं की कमी सामने आई है। खंडवा से 8 महीने की बच्ची को ब्रेन की गंभीर बीमारी के कारण इंदौर के सरकारी अस्पतालों में रैफर किया गया। लेकिन अस्पतालों में वेंटिलेटर उपलब्ध न होने की वजह से बच्ची को लगभग 5 घंटे तक एम्बुलेंस में ही रहना पड़ा। इस दौरान बच्ची की हालत और भी गंभीर हो गई।
परिवार के अनुसार, बच्ची की जीवनरक्षा के लिए तत्काल वेंटिलेटर की आवश्यकता थी। खंडवा से एम्बुलेंस द्वारा इंदौर लाने के बाद भी कई सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं होने की वजह से बच्ची को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जा सका। इस दौरान परिवार और एम्बुलेंस स्टाफ लगातार प्रयास करते रहे।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में समय की अहमियत बहुत ज्यादा होती है। ब्रेन से संबंधित गंभीर बीमारियों में वेंटिलेटर की उपलब्धता और समय पर इलाज का अभाव मरीज के लिए जानलेवा हो सकता है। बच्ची की हालत अब गंभीर है और तत्काल चिकित्सकीय ध्यान की जरूरत है।
स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे इतने गंभीर मरीज के लिए बुनियादी सुविधा वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं थी। नागरिक और सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर नाराजगी व्यक्त की जा रही है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या सरकारी अस्पतालों में ऐसी आपातकालीन सुविधाओं का सही प्रबंधन नहीं किया जा रहा है।

इस घटना ने यह भी दिखाया कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों से गंभीर मरीजों को बड़ी मुश्किलों के बीच शहर के सरकारी अस्पतालों तक लाना पड़ता है। यदि अस्पतालों में आपातकालीन संसाधनों की कमी नहीं होती, तो शायद बच्ची की स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इंदौर जैसे बड़े शहरों में भी सरकारी अस्पतालों में वेंटिलेटर और ICU की पर्याप्त संख्या नहीं है। बच्चों के गंभीर मामलों के लिए विशेष व्यवस्था होना आवश्यक है।
इस मामले ने स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है। प्रशासन को चाहिए कि वेंटिलेटर और ICU जैसी आपातकालीन सुविधाओं की संख्या बढ़ाए और मरीजों की तात्कालिक मदद सुनिश्चित करे।





