इंदौर में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर कार्यशाला, कलेक्टर शिवम वर्मा ने दिया मरीजों को जीवन जीने की प्रेरणा
इंदौर में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर कार्यशाला, कलेक्टर शिवम वर्मा ने दिया मरीजों को जीवन जीने की प्रेरणा

इंदौर: सोसायटी फॉर मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की पहल पर आज इंदौर के रॉबर्ट नर्सिंग होम एंड रिसर्च सेंटर में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी पर एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में कलेक्टर शिवम वर्मा ने विशेष रूप से प्रतिभाग किया और रोग से पीड़ित मरीजों, उनके परिवारों और चिकित्सा पेशेवरों को मार्गदर्शन दिया।
कार्यशाला का उद्देश्य मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रोग से पीड़ित लोगों को उनके जीवन को सामान्य और सक्रिय तरीके से जीने के उपायों के बारे में जानकारी देना था। कलेक्टर शिवम वर्मा ने कहा कि शहर में लगभग 138 लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं और सही देखभाल और उपचार के माध्यम से वे सामान्य जीवन जी सकते हैं।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्या है?
कलेक्टर ने बताया कि मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जीन आधारित आनुवंशिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से माता-पिता से बच्चों में आती है। इस बीमारी में मांसपेशियों की कमजोरी और समय के साथ कार्यक्षमता में कमी आती है। हालांकि, नियमित फिजियोथैरेपी, एक्सरसाइज और चिकित्सकीय देखभाल के माध्यम से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
कार्यशाला में क्या हुआ?
कार्यशाला में डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से प्रभावित मरीजों को जीवन शैली सुधार, व्यायाम, फिजियोथैरेपी तकनीक और पोषण पर जानकारी दी। रोगियों और उनके परिजनों के लिए सवाल-जवाब सत्र रखा गया, जिसमें मरीजों ने अपनी परेशानियों और दैनिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों को साझा किया।
कलेक्टर शिवम वर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार की जागरूकता कार्यशालाओं से न केवल मरीजों को बीमारी के प्रति सही जानकारी मिलती है, बल्कि उनके परिवारों और समाज में भी संवेदनशीलता बढ़ती है। उन्होंने रोगियों को प्रोत्साहित किया कि वे फिजियोथैरेपी और नियमित व्यायाम के माध्यम से बीमारी के प्रभाव को नियंत्रित कर सकते हैं और एक सामान्य जीवन शैली अपना सकते हैं।
समाज और स्वास्थ्य सेवाओं की भूमिका
कलेक्टर ने यह भी जोर दिया कि समाज और सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं मिलकर मरीजों की सहायता कर सकती हैं। विशेष देखभाल, चिकित्सकीय परामर्श और सहयोगी तकनीकों के माध्यम से मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित लोग जीवन में आशा और उत्साह बनाए रख सकते हैं। उन्होंने माता-पिता से अपील की कि बच्चे में बीमारी के लक्षण दिखाई दें तो समय पर चिकित्सकीय परामर्श लें।
कार्यशाला में मरीजों और उनके परिवारों ने भी सहभागिता दिखाई और विभिन्न उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ाई। कलेक्टर शिवम वर्मा ने कहा कि इस तरह की पहलों से मरीजों का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मजबूत होता है और वे समाज में स्वतंत्र और सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।




