इंदौर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र से महकमे में हड़कंप

dainik rajeev

Indore News: एंकर-इंदौर जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने का बड़ा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है। इस फर्जीवाड़े में बड़ी संख्या में लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर नकली जाति प्रमाण पत्र तैयार करवाए। इन प्रमाण पत्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने और सरकारी नौकरी पाने के लिए इस्तेमाल करने की संभावना है।

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जब यह मामला उजागर हुआ, तो कलेक्टर आशीष सिंह ने तत्काल इस पर संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिए। कलेक्टर ने संबंधित विभागों को इस मामले की गहराई से जांच करने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फर्जी प्रमाण पत्र तैयार करने वाले व्यक्तियों, इसमें संलिप्त अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। कलेक्टर ने कहा कि दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और उन्हें कानून के अनुसार सजा दिलाई जाएगी। सूत्रों के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा प्रशासनिक संकुल के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से किया गया। यह मामला प्रशासनिक कार्यालय के भीतर चल रहे भ्रष्टाचार और लापरवाही को उजागर करता है। इसी प्रमाण पत्र के जरिये शासन की कई योजना का लाभ लेने के साथ ही फर्जी लोगों ने सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली।

फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की संख्या अधिक होने के कारण इस मामले ने कलेक्टर कार्यालय और अन्य विभागों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने इसे गंभीरता से लिया है। बता दे कि यह मामला बेहद चौंकाने वाला है। हालांकि कलेक्टर ने कहा कि हम जांच करेंगे कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में फर्जी जाति प्रमाण पत्र कैसे बनाए गए और इसके पीछे कौन-कौन लोग शामिल हैं। जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात भी कलेक्टर ने कही है। सूत्रों के अनुसार, कलेक्टर ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है, जो फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में शामिल सभी पहलुओं की जांच करेगी। टीम यह पता लगाएगी कि यह फर्जीवाड़ा कब से चल रहा था, इसमें कौन-कौन से कर्मचारी और अधिकारी शामिल थे, और कितने नकली प्रमाण पत्र बनाए गए।

आशीष सिंह, कलेक्टर, इंदौर

प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि बड़ी संख्या में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह एक संगठित फर्जीवाड़ा है, जिसमें न केवल छोटे कर्मचारी, बल्कि कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। इस मामले में दोषियों की पहचान करना और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना प्रशासन के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। फर्जी जाति प्रमाण पत्र का यह मामला न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के साथ हो रहे अन्याय की ओर भी इशारा करता है। अब देखना होगा कि प्रशासनिक जांच में क्या खुलासे होते हैं और दोषियों को कितनी सख्त सजा मिलती है।

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