Bhopal News: भोपाल पुलिस ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर बैंक अकाउंट बनाकर उन्हें बेचने वाले बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है। गिरफ्तार 7 आरोपियों में से एक महिला है। फर्जीवाड़ा करने वाला बिहार का अंतरराज्यीय गिरोह है। देखिये आखिर कैसे काम करता था इनका गिरोह।
भोपाल में गिरफ्तार सात में से छह सायबर ठगों को पुलिस ने जेल भेज दिया है। गिरोह का सरगना शशिकांत कुमार उर्फ मनीष 20 नवंबर तक रिमांड पर है। पुलिस को उसके मोबाइल में कई संदिग्ध ऐप मिले हैं। पूछताछ में उसने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उसने बताया कि वह फर्जी तरीके से बैंक खाते खुलवा कर उन्हें बेच देता था। सायबर ठगी भी करता था।
आरोपी शशिकांत ने पुलिस को बताया कि, सबसे पहले वह नाबालिग लड़के-लड़कियों के आधार कार्ड हासिल करता था। फिर उन्हें एडिट कर दूसरों की फोटो लगाता था। साथ ही उम्र बढ़ाकर लिख देता था। इस फर्जी आधार नंबर से पैन कार्ड बन जाता था। इसके बाद फर्जी आधार और पैन कार्ड की मदद से बैंक खाते खुलवाता था। आरोपी भोपाल में किराए का मकान लेकर फर्जी दस्तावेज बनाते थे। इसके लिए इब्राहिमपुरा में एक कमरे में कॉल सेंटर भी बना रखा था।
पूछताछ में आरोपियों ने देश के 6 अलग-अलग शहरों में रहकर फर्जी दस्तावेज बनाने की बात स्वीकार की है। इनमें इंदौर, भोपाल, लखनऊ, मुंबई, अहमदाबाद जैसे शहर शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक, बीते दो साल में आरोपी 1800 से अधिक खाते खुलवाने के बाद बेच चुके हैं। 10 हजार रुपए प्रति खाते को बेचकर करीब 2 करोड़ रुपए कमाए हैं। गिरोह की महिला सदस्य टेलीकॉलिंग कर शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट और ऑन लाइन गेमिंग ऐप में पैसा लगाने का झांसा देकर ठगी का काम करती थी।
आरोपियों ने एमपी के भोपाल, इंदौर और उज्जैन समेत अन्य शहरों के अलग-अलग बैंकों में करीब 150 फर्जी खाते खोले। इन सभी खातों को खोलने के लिए सातों आरोपियों ने केवल अपने ही फोटो का इस्तेमाल किया है। खाते खुलवाने के लिए आरोपी स्वयं बैंक जाते थे। इतनी आसानी से बड़ी संख्या में आरोपियों ने खाते कैसे खुलवाए, इन तमाम बातों का जवाब जानने पुलिस संबंधित सभी बैंकों को नोटिस देगी।
मुख्य आरोपी शशिकांत ने पुलिस को बताया कि किसी को उन पर शक न हो इसलिए गिरोह के सदस्य साधारण जीवन जीते थे। किसी भी शहर में हाई प्रोफाइल इलाके में मकान नहीं लेते थे। फर्जीवाड़े से की गई कमाई परिजन को भेज दिया करते थे। उन्हें भी शक न हो इसके लिए 20-30 हजार रुपए महीने से अधिक रकम नहीं भेजते थे। आरोपियों के बैंक खातों को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है। इन खातों में कितनी रकम है, इसका आंकलन किया जा रहा है।
पुलिस जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि सभी आरोपी चौथी से 12वीं क्लास तक पढ़े हैं। वे दो महीने से अधिक किसी शहर में नहीं रहते थे। इस दौरान वह 200-300 तक फर्जी खाते बेच दिया करते थे। कमाई रकम से वह अगले टारगेट तक पहुंचने से पहले छुट्टी मनाते थे। इस दौरान वह गोवा, महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों में घूम चुके हैं।
सायबर ठग गिरोह ने ये सभी बैंक खाते उन आधार कार्ड पर खुलवाए, जो कभी सही पते पर नहीं पहुंचे। ये हर खाते के लिए 10 हजार रुपए वसूलते थे। इस लिहाज से 2 करोड़ से ज्यादा की रकम गिरोह को मिल चुकी है। भोपाल-इंदौर में ऐसे करीब 500 खाते सामने आए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि सही पते पर नहीं पहुंचने वाले आधार कार्ड झारखंड का डाकिया उपलब्ध करवा रहा था। इस डाकिए को विशेष कर नाबालिगों के आधार कार्ड जालसाजों तक पहुंचाने का जिम्मा था। इस बात का खुलासा आरोपियों ने पूछताछ में किया है। इस बात में कितनी सच्चाई है, पुलिस इसे वेरिफाई कर रही है।
पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि दो साल में आरोपी 1800 से अधिक खाते खुलवाने के बाद बेच चुके हैं। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे पिछले एक महीने से भोपाल में रह रहे थे। यहां फर्जीवाड़ा करने के लिए कॉल सेंटर कमरे में शुरू किया था। बड़ी संख्या में एडिट कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए जा चुके थे। इनसे फर्जी बैंक खाते खुलवाले और फर्जी तरीके से सिम खरीदने की योजना थी।
MORE NEWS>>>आज की टॉप 5 खबरे