क्या हो जब रक्षक ही भक्षक बन जाए: जबलपुर में हनीट्रैप गैंग का पर्दाफाश, दो आरक्षक भी घेरे में
क्या हो जब रक्षक ही भक्षक बन जाए: जबलपुर में हनीट्रैप गैंग का पर्दाफाश, दो आरक्षक भी घेरे में

जबलपुर का हनीट्रैप कांड: रक्षक ही जब बन जाए भक्षक
मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ऐसा हनीट्रैप मामला सामने आया है जिसने न सिर्फ शहर में सनसनी फैला दी, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शताब्दीपुरम कॉलोनी के एक युवक को इंस्टाग्राम पर ‘रागिनी शर्मा’ नाम की युवती ने जाल में फंसाया और फिर होटल में बुलाकर उससे भारी रकम वसूलने की कोशिश की। मामला सिर्फ ठगी या ब्लैकमेलिंग तक नहीं रुका—बल्कि इसमें दो पुलिस आरक्षकों की संदिग्ध भूमिका ने पूरे प्रकरण को और गंभीर बना दिया।
इंस्टाग्राम से शुरू हुआ जाल, होटल के कमरे में रचा गया स्क्रिप्टेड ड्रामा
जानकारी के अनुसार, युवक की इंस्टाग्राम पर रागिनी शर्मा से चैटिंग शुरू हुई। कुछ दिनों की बातचीत के बाद युवती ने युवक को शताब्दीपुरम के एक होटल में मिलने बुलाया। होटल के कमरे में युवक को पहले शराब और खाना परोसा गया, ताकि माहौल सामान्य लगे।
लेकिन अचानक कहानी मोड़ लेती है—रागिनी ने युवक पर छेड़छाड़ का झूठा आरोप लगाना शुरू कर दिया और कमरे में जोर-जोर से ड्रामा किया।
फिरौती की मांग और दोस्तों की एंट्री
रागिनी ने अपने तीन साथियों को बुलाया। आते ही उन्होंने युवक को घेर लिया, मारपीट की और 1 लाख रुपये की फिरौती की मांग की। युवक को धमकाया गया कि यदि पैसे नहीं दिए तो उस पर गंभीर आरोप लगाकर जेल भिजवा देंगे।
यह एक सुनियोजित गिरोह की हरकत लग रही थी, जिसका मकसद भोले-भाले लोगों को गलत आरोपों में फंसाकर उनसे मोटी रकम वसूलना था।
पुलिस आरक्षक बने ‘मध्यस्थ’: सवालों के घेरे में वर्दी
मामला तब और चौंकाने वाला हो गया, जब आरोपियों ने यादव कॉलोनी चौकी के दो आरक्षकों—सचिन और सिद्धार्थ—को मौके पर बुला लिया।
दिलचस्प बात यह रही कि दोनों आरक्षक:
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बिना महिला पुलिसकर्मी के पहुंचे
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और उन्होंने मामले को आपस में “सुलझाने” की सलाह दी
यह व्यवहार दिखाता है कि मामला सिर्फ ब्लैकमेलिंग तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें पुलिस की मिलीभगत की भी आशंका है। इसी वजह से दोनों आरक्षकों को लाइन अटैच कर दिया गया है।

वरिष्ठ अधिकारियों की दखल के बाद बची युवक की जान
युवक ने हिम्मत दिखाते हुए अपने परिजनों को कॉल किया। परिवार ने तुरंत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सूचना दी, जिसके बाद कार्रवाई की गई।
पुलिस टीम मौके पर पहुंची और रागिनी शर्मा सहित दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
मोबाइल जब्ती, कॉल डिटेल और अन्य पीड़ितों की तलाश
पुलिस ने पूरे हनीट्रैप गिरोह के मोबाइल जब्त कर लिए हैं।
अब CDR (कॉल डिटेल रिकॉर्ड), इंस्टाग्राम चैट और व्हाट्सऐप बैकअप खंगाले जा रहे हैं, ताकि पता चल सके कि:
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क्या यह गिरोह पहले भी किसी को फंसा चुका है?
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क्या पुलिसकर्मी भी इस नेटवर्क से जुड़े हैं?
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क्या और पीड़ित सामने आ सकते हैं?
जांच टीम मान रही है कि यह एक संगठित गिरोह हो सकता है, जो सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर युवाओं को जाल में फंसाता रहा है।
हनीट्रैप और पुलिस की भूमिका पर उठे गंभीर सवाल
यह घटना सिर्फ एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि कानून-व्यवस्था पर भरोसा हिलाने वाली घटना है — जब वही लोग जो सुरक्षा देने के लिए तैनात हों, मामले में संदिग्ध बन जाएं, तब जनता किस पर भरोसा करे?
यह मामला पुलिस विभाग के लिए चेतावनी है कि ऐसे कर्मियों को तुरंत चिन्हित कर कठोर कार्रवाई की जाए।





