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लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, सांसद वेल में पहुंचे; खड़गे बोले- लोकतंत्र को बचाना जरूरी

लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, सांसद वेल में पहुंचे; खड़गे बोले- लोकतंत्र को बचाना जरूरी

लोकसभा में विपक्ष का हंगामा, सांसद वेल में पहुंचे; लोकतंत्र पर चर्चा जारी

लोकसभा का हालिया सत्र हंगामेदार माहौल में शुरू हुआ। विपक्ष ने कई अहम मुद्दों पर विरोध दर्ज कराते हुए सदन में हंगामा शुरू कर दिया। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद और नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई सांसद वेल में पहुंचे। खड़गे ने सदन में कहा कि लोकतंत्र की रक्षा करना हर सांसद की जिम्मेदारी है और उसे कमजोर नहीं होने दिया जा सकता।

विपक्ष का आरोप था कि सरकार समय सीमा तय करके बहस को सीमित करने की कोशिश कर रही है। खड़गे ने स्पष्ट रूप से कहा कि संसद केवल एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह देशवासियों की उम्मीदों का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि यदि सदन में विपक्ष को अपनी बात रखने का पर्याप्त अवसर नहीं मिलेगा, तो लोकतंत्र की मूल भावना खतरे में पड़ जाएगी।


केंद्र की प्रतिक्रिया और बहस की तैयारियाँ

केंद्र की ओर से सांसदों को आश्वस्त किया गया कि सरकार किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस के लिए पूरी तरह तैयार है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समय सीमा न थोपने का लक्ष्य सदन में खुली और निष्पक्ष चर्चा को सुनिश्चित करना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि सत्र का उद्देश्य केवल हंगामा नहीं, बल्कि देश की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस निर्णय लेना है।

इस बीच, राज्यसभा और लोकसभा दोनों ही सदनों में विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों को उठाया। इनमें चुनाव आयोग के हालिया फैसले, राष्ट्रीय सुरक्षा, अवैध प्रवासी, प्रदूषण और राज्यों में प्रशासनिक समस्याएँ शामिल थीं।


विवादास्पद मुद्दों पर विपक्ष का जोर

विपक्ष ने एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) जैसे संवेदनशील मामलों पर केंद्र की नीतियों पर सवाल उठाए। सांसदों का मानना है कि ऐसे मामलों में पर्याप्त पारदर्शिता और खुली बहस जरूरी है। खड़गे ने सदन में कहा कि यदि लोकतंत्र की संरचना को बनाए रखना है, तो सभी दलों को अपनी राय स्वतंत्र रूप से रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।

विपक्ष का कहना था कि बहस को बाधित करने की कोशिश लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। सांसदों ने वेल में पहुंचकर इस मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।


भविष्य की कार्यवाही और सुरक्षा उपाय

सदन में इस हंगामे के बीच सभी सांसदों की सुरक्षा और व्यवस्थित कार्यवाही को ध्यान में रखते हुए सभापति ने सदस्यों से संयम बनाए रखने का आग्रह किया। अधिकारियों ने सदन के आस-पास सुरक्षा बढ़ा दी है और सदस्यों को बिना किसी बाधा के अपनी बात रखने का अवसर देने का निर्देश दिया।

संसदीय कार्यवाही के विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के हंगामे लोकतंत्र की प्रक्रियाओं का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें सीमित और नियंत्रित रखना आवश्यक है ताकि संसद का मूल उद्देश्य—देश की जनता के हित में निर्णय लेना—पूरी तरह से पूरा हो सके।

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