
MTH Hospital: इंदौर के एमटीएच अस्पताल में मंगलवार देर रात दो सिर, एक धड़ वाली जुड़वा बच्चियों ने जन्म लिया। इस डिलीवरी ने मेडिकल जगत को चौंका दिया क्योंकि यह एक अत्यंत जटिल केस के रूप में सामने आई है।

देवास जिले के हरणगांव क्षेत्र के पलासी गांव की रहने वाली 22 वर्षीय महिला ने हरणगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पंजीयन कराया था और चार बार प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) कराई थी, लेकिन कोई विकृति नहीं पकड़ी गई। सोमवार देर रात महिला को गंभीर प्रसव पीड़ा के चलते एमटीएच अस्पताल लाया गया। जहाँ, गर्भवती महिला को लेबर पेन के दौरान स्त्री रोग विभाग के प्रमुख डॉ. निलेश दलाल की यूनिट में इमरजेंसी में भर्ती किया और डॉक्टर दलाल के निर्देशन में पूरी मेडिकल टीम ने आपातकालीन सिजेरियन सेक्शन के माध्यम से प्रसव किया लेकिन ऑपरेशन के बाद सामने आया कि, दोनों नवजात शिशुओं के सिर आपस में जुड़े हुए हैं।
दो सिर, दो रीढ़, दो लिवर, एक हृदय
नवजात बच्चियों की हालत गंभीर है व उन्हें सीएनसी यूनिट में रखा गया है। बुधवार को उन्हें आईवी फ्यूड भी दिया गया। यह मामला चिकित्सा अनुसंधान और जन-जागरूकता दोनों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। एसएनसीयू प्रभारी और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील आर्य ने बताया कि बच्चियों का वजन 2.8 किलो है। उसके दो सिर, दो रीढ़, दो लिवर, एक हृदय, फेफड़े और दो आंत तंत्र हैं।
मंगलवार रात लगभग एक बजे महिला गंभीर हालत में देवास से आई थी। स्त्री रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. नीलेश दलाल के मार्गदर्शन प्रसव कराया गया, तब पता चला कि बच्ची के दो सिर हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि मेडिकल भाषा में इस तरह के बच्चों को पैरापैगस डिसेफेलिक ट्विंस कहा जाता है। ये जुड़वा हैं व आपस में जुड़े हुए हैं। इसमें धड़ आपस में जुड़े रहते हैं, लेकिन सिर दो होते हैं। टीम में डॉ. अलका पटेल, डॉ. शीतल हेडाओ, डॉ. इंद्रलता सोलंकी, डॉ. नेहा राजपूत और डॉ. दिव्या शामिल थीं। माता-पिता बच्चियों को देखने यूनिट में नहीं गए हैं।
दो सिर से नियंत्रित हो रहा शरीर
चाचा नेहरू अस्पताल प्रभारी डॉ. प्रीति मालपानी ने बताया कि, बच्चियों के दोनों सिर शरीर को नियंत्रित कर रहे हैं। दाहिना सिर दायां हिस्सा और बाया सिर बायां हिस्सा नियंत्रण कर रहा है। अभी बच्चियों को आक्सीजन पर रखा गया है। प्रारंभिक सोनोग्राफी में शरीर में एक हृदय नजर आया है। विशेषज्ञों के मुताबिक दो लाख जन्म पर इस तरह के बच्चे का जन्म होता है। इन बच्चों के जीवित रहने की संभावना काफी कम होती है। फिलहाल दोनों नवजातों को एमटीएच अस्पताल की सीएनसीयू में शिशु रोग विशेषज्ञों की देखरेख में रखा गया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए चिकित्सा विभाग द्वारा पूरी स्थिति की निगरानी की जा रही है।

इसलिए होते है एक शरीर से जुड़े जुड़वा बच्चे
डाक्टरों का कहना है कि दो सिर वाले जुड़वा बच्चे पैदा होने की स्थिति तब होती है,जब निषेचन अंडे से बनने वाला भ्रूण पूरी तरह अगल होने के बजाए जुड़ा रहता है। गर्भावस्था के शुरुआती चरण में ही जुड़े होने से फिर वे एक साथ भ्रूण बनते है और विकसित होते है। इसे मोनोजाईगोटिक जुड़वा कहा जाता है।