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प्रियंका गांधी ने Sanchar Saathi ऐप को बताया जासूसी ऐप, कहा- सरकार हर फोन में न घुसे

प्रियंका गांधी ने Sanchar Saathi ऐप को बताया जासूसी ऐप, कहा- सरकार हर फोन में न घुसे

📌 मामला क्या है?

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार के Sanchar Saathi ऐप को हर फोन में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने के निर्देशों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे ‘जासूसी ऐप’ करार दिया और कहा कि नागरिकों की प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। यह मामला तब सामने आया जब डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकॉम (DoT) ने देश के सभी मोबाइल यूज़र्स को 90 दिनों के भीतर इस ऐप को इंस्टॉल करने के आदेश दिए।

प्रियंका गांधी ने मीडिया से कहा कि साइबर सिक्योरिटी की जरूरत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार हर नागरिक के फोन में प्रवेश करे। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐप के माध्यम से व्यक्तिगत और संवेदनशील डेटा को सुरक्षा के नाम पर जोखिम में डाला जा सकता है।


🔍 प्रियंका गांधी की आपत्ति

प्रियंका गांधी ने कहा कि यह आदेश सीधे तौर पर प्राइवेसी का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि ऐप हर फोन में पहले से ही अनचाहे तरीके से डेटा एक्सेस कर सकता है और सरकार इसका उपयोग नागरिकों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए कर सकती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह साइबर फ्रॉड से सुरक्षा के बहाने जनता के व्यक्तिगत अधिकारों को खतरे में डालने जैसा है।

उनका कहना है कि सरकार को सुरक्षा और प्राइवेसी में संतुलन बनाए रखना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति को अपने डेटा और फोन पर नियंत्रण होना चाहिए और इसे बिना उनकी सहमति के इंस्टॉल करना लोकतंत्र और निजता के अधिकार के खिलाफ है।


📱 Sanchar Saathi ऐप के बारे में

Sanchar Saathi ऐप को DoT ने विकसित किया है और इसका उद्देश्य साइबर फ्रॉड से बचाना और मोबाइल नंबर की सुरक्षा सुनिश्चित करना बताया गया है। हालांकि, ऐप के अनिवार्य इंस्टॉल के निर्देश ने लोगों और विपक्ष दोनों में चिंता पैदा कर दी है।

कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि सरकार को वैकल्पिक उपाय अपनाने चाहिए। जैसे कि केवल उन लोगों के फोन में ऐप इंस्टॉल करना जिनके डेटा या ट्रांजैक्शन जोखिम में हैं, न कि पूरे देश में हर नागरिक के फोन में।


⚖️ राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

प्रियंका गांधी की आलोचना ने देश में साइबर प्राइवेसी और डिजिटल अधिकारों पर बहस छेड़ दी है। कई नागरिक और सोशल मीडिया उपयोगकर्ता भी इस आदेश को लोकतंत्र विरोधी और अत्यधिक हस्तक्षेप वाला करार दे रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल सुरक्षा जरूरी है, लेकिन सरकार को जनता की निजता का सम्मान करते हुए स्वैच्छिक उपाय अपनाने चाहिए।

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