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80 साल पहले ट्रिनिटी टेस्ट से मिला क्वासीक्रिस्टल

विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास की हर चीज हो गई गायब

Trinity Test: आज से ठीक 80 साल पहले, 16 जुलाई 1945 को न्यू मैक्सिको (अमेरिका) के रेगिस्तान में एक ऐसा पल बना जिसने इतिहास बदल दिया। अमेरिकी सेना ने “गैजेट” नाम का पहला परमाणु बम का परीक्षण किया। इसे ट्रिनिटी टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है, इस विस्फोट ने युद्ध के तरीकों को हमेशा के लिए बदल दिया।

Trinity Test
Trinity Test

इस विस्फोट से 21 किलोटन TNT के बराबर ऊर्जा निकली, जिसने 30 मीटर की टावर को भाप बना दिया। आसपास के तारों और रेत को पिघला दिया और इस पिघले हुए मिश्रण से एक नई चट्टान बनी, जिसे ट्रिनिटाइट कहा गया। लेकिन असली आश्चर्य तब सामने आया, जब दशकों बाद वैज्ञानिकों ने इस ट्रिनिटाइट में एक दुर्लभ पदार्थ की खोज की जो क्वासीक्रिस्टल (Quasicrystal) कहलाता है।

ट्रिनिटी टेस्ट एक नई शुरुआत

पहला मौका था जब मनुष्य ने परमाणु बम का सफल परीक्षण किया। इस विस्फोट ने रेगिस्तान की रेत, टावर और तांबे के तारों को इतनी गर्मी में पिघला दिया कि वे हरे रंग का कांच बन गए। जिसे ट्रिनिटाइट (Trinitite) नाम दिया गया, यह विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास की हर चीज गायब हो गई और एक गहरा गड्ढा बन गया। लेकिन इस विनाश ने एक रहस्य भी छिपा दिया, जो बाद में सामने आया।

Trinity Test: Trinitite 
Trinity Test: Trinitite

सामान्य क्रिस्टल, जैसे नमक या हीरा, अपने परमाणुओं को एक दोहराए जाने वाले पैटर्न में सजाते हैं। लेकिन क्वासीक्रिस्टल अलग हैं उनके परमाणु दोहराए नहीं जाते, बल्कि एक खास तरीके से व्यवस्थित होते हैं, जो पहले असंभव माना जाता था। साल 1984 में जब यह पता चला, तो वैज्ञानिक हैरान रह गए। बाद में इन्हें प्रयोगशाला और उल्कापिंडों में पाया गया, जहां भयानक दबाव और गर्मी होती है।

ट्रिनिटाइट में खोज

वैज्ञानिकों ने सोचा कि ट्रिनिटाइट में कुछ खास हो सकता है। इटली के फ्लोरेंस यूनिवर्सिटी के भूविज्ञानी लुका बिंडी की अगुआई में एक टीम ने हरे ट्रिनिटाइट की बजाय लाल ट्रिनिटाइट का अध्ययन शुरू किया। लाल ट्रिनिटाइट में तांबे के तारों के अवशेष थे, जो विस्फोट के दौरान पिघल गए थे।

Quasicrystal
Quasicrystal

उन्होंने स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी और एक्स-रे डिफ्रेक्शन जैसी तकनीकों से छह छोटे नमूनों की जांच की। आखिरकार, एक नमूने में एक छोटा सा, 20 कोण वाला दाना मिला, जो सिलिकॉन, तांबा, कैल्शियम और लोहे से बना था। इसकी पांच-भुजी समरूपता (symmetry) आम क्रिस्टल में एकदम अलग थी। यह क्वासीक्रिस्टल मनुष्य द्वारा बनाया गया सबसे पुराना पदार्थ है, जो ट्रिनिटी टेस्ट के समय बना।

लॉस एलामोस नेशनल लेबोरेटरी के भू-भौतिकीविद् टेरी वॉलेस ने 2021 में कहा कि, “क्वासीक्रिस्टल बनने के लिए बेहद कठिन परिस्थितियां चाहिए जैसे भयानक झटका, गर्मी और दबाव. यह धरती पर आम नहीं, सिवाय परमाणु विस्फोट जैसे घटनाओं के।” वॉलेस ने आगे कहा कि, यह क्वासीक्रिस्टल अपनी जटिलता के लिए जाना जाता है, लेकिन अभी तक यह साफ नहीं कि यह कैसे बना। एक दिन कोई वैज्ञानिक इसका राज खोलेगा हमें इसके पीछे का विज्ञान समझ आएगा।

Trinity Test
Trinity Test

इस खोज का क्या है फायदा ?

यह खोज सिर्फ रोचक नहीं, बल्कि उपयोगी भी है। क्वासीक्रिस्टल समय के साथ खत्म नहीं होते, जबकि परमाणु विस्फोट के अन्य निशान (जैसे रेडियोधर्मी गैस) गायब हो जाते हैं, इससे वैज्ञानिक पुराने परमाणु परीक्षणों का अध्ययन कर सकते हैं। वॉलेस कहते हैं कि, दूसरे देशों के परमाणु हथियार समझने के लिए उनके परीक्षणों का पूरा ब्योरा चाहिए, क्वासीक्रिस्टल हमें नई जानकारी दे सकता है। इससे परमाणु हथियारों के गैरकानूनी इस्तेमाल पर नजर रखने में मदद मिल सकती है।

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