
Sarla Bhatt Case: कश्मीरी पंडित सरला भट्ट मर्डर केस में जांच एजेंसियों ने 35 साल बाद जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के पूर्व प्रमुख यासीन मलिक के आवास पर छापा मारा है। सरला भट्ट की हत्या तब की गई थी जब कश्मीर आतंकवाद और अलगाववाद की आग में झुलस रहा था।

धर्म परिवर्तन करो भाग जाओ या मारे जाओ
कश्मीर के अनंतनाग की रहने वाली कश्मीरी पंडित परिवार में जन्मीं सरला भट्ट ने नर्सिंग का पेशा चुना। श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) में नर्स के रूप में काम करने वाली सरला अपनी कोमल मुस्कान और मरीजों के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती थीं। उनकी जिंदगी दूसरों की पीड़ा को कम करने में बीतती थी।
सरला भट्ट ने जिस समाज की सेवा करने का बीड़ा थामा था वो कभी कश्मीरियत की रवायत के लिए जाना जाता था। लेकिन वो दौर आतंकवाद का था, पाकिस्तान की सरपरस्ती में कश्मीर में आतकंवाद सिर उठा रहा था और आतंकियों ने हिन्दुओं को साफ-साफ वादी छोड़ने का फरमान जारी कर दिया। आतंकवादियों का नारा था रालिव, गालिव या चालिव। यानी कि धर्म परिवर्तन करो, भाग जाओ या मरने के लिए तैयार रहो। हिन्दुओं को मस्जिदों से धमकी दी जा रही थी कि या तो वे अपना धर्म बदल लें या रातों-रात कश्मीर छोड़कर चले जाएं अन्यथा यहां रहने पर उन्हें मार दिया जाएगा। इसी तरह के पोस्टर कश्मीरी हिन्दुओ के घरों के बाहर चिपकाए गए थे।

छात्रावास से किया किडनैप
चूंकि सरला भट्ट हिंदू थी, इस वजह से आतंकियों की लंबे वक्त से सरला भट्ट पर निगाह थी। इस अस्पताल में अब्दुल अहद गुरु और JKLF के डिप्टी कमांडर हामिद शेख सक्रिय थे, दोनों को इस बात का शक था कि सरला पुलिस की इनफॉर्मर है और ये आतंकी सरला को बार-बार नौकरी छोड़ने की धमकी दे रहे थे।

14 अप्रैल, 1990 को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के आतंकियों ने सरला भट्ट को उनके अस्पताल के छात्रावास से किडनैप कर लिया। इसके बाद आतंकी उन्हें अंजान जगह पर ले गए. वहां उन दरिंदों ने सरला भट्ट के साथ चार दिनों तक सामूहिक दुष्कर्म किया और सामूहिक बलात्कार करने के बाद जिहादियों ने सरला भट्ट की अमानवीय तरीके से टुकड़े-टुकड़े कर हत्या कर दी। 4 दिनों तक सरला के परिवार वालों पर वज्रपात सा होता रहा वे बेटी की खबर के लिए तड़पते रहे लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।
डाउनटाउन में मिली एक बॉडी
आखिरकार 19 अप्रैल को श्रीनगर के डाउनटाउन में एक युवती की लाश मिली क्षत-विक्षत, शरीर पर गोलियों के निशान, खून रिसते हुए और क्रूर यातना की गवाही देते जख्म। ये बॉडी थी 25 साल की कश्मीरी पंडित सरला भट्ट की, इस बॉडी के पास ही हाथ से लिखा हुआ एक नोट था जिसमें दहशतर्दों ने सरला को ‘पुलिस मुखबिर’ बताया था।

सरला के साथ आतंक की यह कहानी यहीं समाप्त नहीं हुई जब सरला के परिजन उसका पार्थिव शरीर लेकर अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे तब उन आतंकियों ने परिजनों पर बम से हमला किया। इसके बाद आतंकियों ने अनंतनाग में सरला भट्ट के घर को भी आग के हवाले कर दिया, अब सरला भट्ट का परिवार टूट चुका था।
कई लोगों के घरों पर की छापेमारी
वे वही करने को मजबूर हुए जो आतंकी चाहते थे सरला भट्ट के परिजनों ने अपनी मातृभूमि छोड़कर पलायन करने का फैसला किया। सरला भट्ट के परिजनों को पिछले 35 सालों से इंसाफ की तलाश है, जम्मू-कश्मीर में 12 अगस्त को हुई छापेमारी के बारे मेंअधिकारियों ने बताया कि, एजेंसी ने सरला भट्ट की हत्या के सिलसिले में प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़े कई लोगों के घरों पर छापेमारी की।

JKLF के पूर्व नेता पीर नूरुल हक शाह उर्फ एयर मार्शल उन लोगों में शामिल था जिसके घरों की तलाशी एजेंसी ने ली है। एजेंसी ने हाल ही में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली है। बता दें कि, सरला भट्ट की हत्या से कुछ दिन पहले ही आतंकियों ने श्रीनगर के हब्बा कदल में टेलीफोन ऑपरेटर गिरिजा टिक्कू की रेप के बाद हत्या कर दी थी। आतंकियों ने वहशीपन की सारी हदें पार करते हुए गिरिजा टिक्कू को लकड़ी काटने की मशीन से जिंदा ही काट दिया था।