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आज से शुरू हो गया सावन
महाकालेश्वर मंदिर में सुबह से लगी भक्तों की लंबी कतारें

Sawan 2025: उज्जैन के महाकाल से लेकर काशी के विश्वनाथ तक, हर शिवालय भक्तों से भरे हुए हैं। चारों तरफ गूंज रहा है बम-बम भोले का स्वर, मंदिरों में शिव नाम की महिमा है, और सड़कों पर उतर चुके हैं भगवा वस्त्रधारी भोले के भक्त। कहीं बोल बम की गूंज है, तो कहीं कांवड़ियों की कतारें।

शिव की भक्ति, शिव की महिमा, और शिव के नाम का महामंत्र..सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है। 11 जुलाई से आरंभ हुआ यह मास 9 अगस्त को समाप्त होगा। पूरे एक महीने तक शिवालयों में भक्ति का सागर लहराएगा। मंदिरों की घंटियां, हर-हर महादेव के जयकारे, और भोलेनाथ के दर पर उमड़ी श्रद्धा सावन में इसका अलग ही रस है।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में आज सुबह से ही भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। कोई जल चढ़ा रहा है, तो कोई फूल अर्पित कर रहा है। हर कोई अपनी भक्ति से भोलेनाथ को प्रसन्न करने में लगा है। काशी, प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक, ओंकारेश्वर हर तीर्थस्थल आज भोले की भक्ति में रंगा हुआ है। कांवड़ यात्रा भी चरम पर है। हजारों की संख्या में कांवड़िए गंगाजल लेकर अपने शिवालय की ओर बढ़ चले हैं। सिर पर कांवड़, आंखों में भक्ति, और होंठों पर बस एक ही नाम, बम बम भोले !

इस बार सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को आएगा। दूसरा सोमवार 21 जुलाई, तीसरा 28 जुलाई, और चौथा तथा अंतिम सोमवार 4 अगस्त को पड़ेगा। हर सोमवार को भोलेनाथ का विशेष जलाभिषेक किया जाएगा। श्रद्धालु उपवास रखकर शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करेंगे। राजधानी दिल्ली से लेकर सुदूर गांवों तक शिवालयों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। भक्तगण रात्रि जागरण कर रहे हैं, शिव स्तुति हो रही है, और भक्ति रस की गंगा बह रही है।
श्रावण मास की कृष्ण प्रतिपदा तिथि, समय रात्रि 3 बजे…ब्रह्म मुहूर्त में जब श्री महाकाल के मंदिर के पट खुले तो जैसे पूरी सृष्टि की धड़कन ठहर गई। महाकाल के गर्भगृह में दीपों की लौ टिमटिमा रही थी, और शिव स्तुति की गूंज के बीच शुरू हुई बाबा की भस्म आरती। पंचामृत से अभिषेक, त्रिपुंड और त्रिनेत्र का अलंकरण, और फिर नयनाभिराम श्रृंगार यह दृश्य श्रद्धा और अलौकिकता का अद्भुत संगम था। दूध, दही, घी, शक्कर और फलरस से तैयार पंचामृत से बाबा को स्नान कराया गया, और इसके बाद कपूर की लौ से महाआरती की गई।

महानिर्वाणी अखाड़े के साधुओं ने बाबा के ज्योतिर्लिंग पर भस्म का लेप किया और भोग अर्पित किया गया। विशेष बात यह रही कि आज बाबा को विशेष मुकुट पहनाया गया, उनके मस्तक पर त्रिपुंड और दिव्य त्रिनेत्र अंकित किया गया, और गले में फूलों की माला धारण कराई गई। श्रद्धालु इस स्वरूप के दर्शन कर भावविभोर हो उठे। मंदिर प्रशासन ने इस बार चलित भस्म आरती दर्शन की परंपरा फिर से शुरू की है, जिससे अब हर भक्त बिना अनुमति के बाबा के भस्म स्वरूप के दर्शन कर सकेगा। कार्तिकेय मंडपम में तीन लाइनें बनाई गईं ताकि भीड़ भी नियंत्रित रहे और हर भक्त को दर्शन का सौभाग्य मिले।
