बिहार चुनाव 2025 में मप्र के मुख्यमंत्री का जलवा
मोहन यादव की सरल भाषा ने जीते बिहार के दिल
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों और रुझानों ने एक बात बेहद साफ कर दी है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की चुनावी लोकप्रियता और उनका जनसंपर्क अभियान बिहार की धरती पर भी जोरदार तरीके से असर डाल गया है।

बिहार में जिन 26 विधानसभा सीटों पर उन्होंने प्रचार किया, उनमें से लगभग सभी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दल बढ़त या जीत की स्थिति में पहुँच चुके हैं। यह ट्रेंड बताता है कि डॉ. यादव की चुनावी रणनीति और उनकी जन-भावनाओं से जुड़ी शैली बिहार के मतदाताओं के बीच भी पूरी तरह असरदार साबित हुई।

डॉ. मोहन यादव ने पटना शहरी क्षेत्र की कुम्हरार सीट से लेकर ग्रामीण इलाकों की बिक्रमा, हिसुआ, गया शहर, बगहा, सिकटा, सहरसा, कटोरिया, अलमनगर, नाथनगर, दिघा, मानेर, फुलपरास, फतुहा, बांकीपुर, मधेपुरा और बिस्फी तक, कुल 26 से अधिक क्षेत्रों में जनसभाएँ कीं।
बताया जा रहा है कि, उनकी सभाओं में बड़ी संख्या में लोग जुटे और इसका सीधा लाभ बीजेपी और एनडीए उम्मीदवारों को मिला। कई स्थानीय नेताओं के अनुसार डॉ. यादव ने जिस सरल भाषा, जमीन से जुड़े मुद्दों और विकास के एजेंडे को सामने रखा, उसने मतदाताओं पर मजबूत प्रभाव डाला।

सबसे खास बात रही यादव समाज में उनकी पैठ। बिहार में यादव वोट परंपरागत रूप से RJD का मजबूत आधार रहा है, लेकिन जिन क्षेत्रों में डॉ. मोहन यादव ने रैलियाँ कीं, वहाँ यादव समाज का एक हिस्सा NDA की ओर झुकता दिखाई दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि डॉ. यादव का स्वयं यादव समाज से होना, उनकी सफलता की कहानी, और सभाओं में उनका सहज संवाद इन सबने समुदाय के युवाओं और मध्यम वर्ग पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा। कई यादव परिवारों ने उनके भाषणों के बाद खुले तौर पर कहा कि काम की राजनीति और साफ नीयत उन्हें प्रभावित कर गई है।

चुनावी माहौल में डॉ. यादव की उपस्थिति ने एनडीए के लिए ऊर्जा का काम किया। स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा और कई कठिन सीटों पर मुकाबला एनडीए के पक्ष में मुड़ा। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे डबल इफ़ेक्ट बताते हैं एक तरफ स्थानीय मुद्दों पर एनडीए की पकड़, दूसरी तरफ मोहन यादव जैसी लोकप्रिय हस्ती का सीधा मैदान में उतरना। कुल मिलाकर, बिहार चुनाव 2025 में डॉ. मोहन यादव का प्रभाव सिर्फ एनडीए की जीत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने बिहार की राजनीति में भी अपनी छाप छोड़ दी।





