इंदौर मेट्रो विस्तार पर संकट: रानी सराय के ध्वस्तीकरण की नौबत, ऐतिहासिक धरोहर और पर्यावरण को खतरा

इंदौर। शहर में मेट्रो रेल के सुपर कॉरिडोर पर सफल संचालन के बाद अब इसके अगले चरण की योजना बनाई जा रही है, जिसमें मेट्रो को शहीद पार्क (रिंग रोड) से एमजी रोड होते हुए एयरपोर्ट तक ले जाया जाएगा। इस 16 किलोमीटर के रूट में से एक हिस्सा रीगल चौराहा स्थित ऐतिहासिक रानी सराय भवन के नीचे से होकर गुजरेगा। इसी कारण यह भवन मेट्रो विस्तार की राह में बाधा बन गया है और इसे तोड़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। यह निर्णय अगर लागू होता है तो एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी।
क्यों आई रानी सराय को तोड़ने की नौबत?
रानी सराय इंदौर की एक प्राचीन इमारत है, जिसे वर्ष 1907 में महाराजा तुकोजीराव तृतीय ने बनवाया था। यह भवन मुगल स्थापत्य शैली में निर्मित है और पहले पुलिस आयुक्त कार्यालय के रूप में उपयोग किया जाता था। मेट्रो के विस्तार के अंतर्गत रीगल चौराहा पर प्रस्तावित अंडरग्राउंड स्टेशन के लिए एंट्री-एग्जिट पॉइंट, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और विशाल अंडरग्राउंड पार्किंग बनाए जाने की योजना है। इसके लिए रानी सराय की जमीन की आवश्यकता बताई जा रही है।
जनविरोध और पर्यावरणीय चिंता
रानी सराय को तोड़ने के प्रस्ताव के खिलाफ स्थानीय नागरिकों, पर्यावरणविदों और सामाजिक संस्थाओं ने विरोध जताया है। पर्यावरणविद ओपी जोशी ने कहा, “यह न केवल एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि यहां हजारों पक्षी बसेरा करते हैं। पेड़ों की कटाई और मेट्रो स्टेशन के निर्माण से इन पक्षियों का आवास समाप्त हो जाएगा।”
स्थानीय रहवासियों का कहना है कि शहर में अब पहले जैसी हरियाली नहीं रही, और इस तरह के निर्णयों से प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत दोनों को नुकसान होगा। साथ ही, निर्माण कार्य के कारण ध्वनि और वायु प्रदूषण भी बढ़ेगा।
रानी सराय की ऐतिहासिक विशेषताएं
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भवन का निर्माण बॉम्बे की प्रसिद्ध फर्म स्टेफेंसन एंड कंपनी ने किया था।
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इसकी पहली मंजिल पूरी तरह काले पत्थरों से निर्मित है।
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भवन में सुंदर मेहराबें, चौक में फव्वारा और पत्थर की बनी सीढ़ियाँ इसकी भव्यता दर्शाती हैं।
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यह सराय उस समय बनाई गई थी जब महाराजाधिराज शिवाजीराव होलकर की पत्नी वाराणसीबाई बीमार थीं और बाहर से आए मेहमानों के ठहरने के लिए स्थान की आवश्यकता थी।
मेट्रो कार्पोरेशन का सुझाव और विकल्प
मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि रानी सराय को संरक्षित रखते हुए भी समाधान निकाला जा सकता है। यदि शास्त्री ब्रिज से वॉलीबॉल मैदान तक की सड़क को बंद किया जाए, तो रानी सराय को बचाया जा सकता है। प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन को रानी सराय से 300-350 मीटर पहले हाई कोर्ट के पास से अंडरग्राउंड ले जाने पर भी विचार चल रहा है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय अभी लंबित है।
दिल्ली के राजीव चौक की तरह मॉडल स्टेशन की योजना
कॉर्पोरेशन का इरादा दिल्ली मेट्रो के राजीव चौक स्टेशन की तर्ज पर रीगल चौराहे पर एक भव्य अंडरग्राउंड स्टेशन बनाने का है। यह स्टेशन इंदौर का सबसे बड़ा स्टेशन होगा, जिसमें लगभग 500 कारों की अंडरग्राउंड पार्किंग, कमर्शियल स्पेस, और रेलवे स्टेशन से जोड़ने के लिए अंडरग्राउंड रास्ता शामिल होगा।
निष्कर्ष: विकास बनाम विरासत
इंदौर मेट्रो का विस्तार शहर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसके लिए इतिहास और प्रकृति की बलि देना कितना न्यायसंगत है, यह एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा है। यदि विकास और विरासत के बीच संतुलन नहीं बैठाया गया, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए इंदौर का ऐतिहासिक और पर्यावरणीय चेहरा केवल तस्वीरों में ही रह जाएगा।