ईरान-इजराइल संघर्ष में नया मोड़: परमाणु ठिकानों पर हमला और जवाबी मिसाइलें

ईरान और इजराइल के बीच चल रहा तनाव अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। हाल ही में इजराइल ने ईरान के अराक स्थित भारी जल रिएक्टर पर हमला किया है, जिसे परमाणु हथियारों के लिए आवश्यक प्लूटोनियम उत्पादन से जोड़ा जाता है। इस हमले के जवाब में ईरान ने भी इजराइल के नागरिक और आर्थिक ढांचों को निशाना बनाते हुए मिसाइलें दागी हैं। इन घटनाओं से न केवल दोनों देशों के संबंध और बिगड़े हैं, बल्कि पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में अस्थिरता की आशंका गहराती जा रही है।
इजराइल का हमला: परमाणु खतरे की ओर बढ़ता कदम
इजराइली वायुसेना ने जिस अराक रिएक्टर पर हमला किया, वह तेहरान से लगभग 250 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इस रिएक्टर को रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यहां भारी जल आधारित परमाणु अनुसंधान होता है। इजराइली सेना ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर चेतावनी जारी करते हुए रिएक्टर क्षेत्र को खाली करने को कहा था और उपग्रह चित्रों में लक्ष्य क्षेत्र को लाल घेरे में दिखाया गया था।
ईरानी सरकारी टेलीविज़न ने पुष्टि की कि हमले से पहले ही रिएक्टर को खाली कर लिया गया था और किसी प्रकार के विकिरण खतरे की संभावना नहीं है। हालांकि, यह हमला परमाणु तनाव को और भड़काने वाला कदम माना जा रहा है।
ईरान का जवाबी हमला: इजराइल की नागरिक इमारतें बनीं निशाना
इजराइली हमले के कुछ ही घंटों बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए मिसाइलें दागीं, जिनका निशाना बने तेल अवीव का शेयर बाजार, एक अस्पताल, आवासीय इमारतें और अन्य आर्थिक ढांचे। रिपोर्ट के मुताबिक, इन मिसाइलों से इजराइल के विभिन्न शहरों में नुकसान हुआ है। हालांकि, अभी तक किसी नागरिक की मौत या गंभीर रूप से घायल होने की पुष्टि नहीं हुई है।
अल-जज़ीरा की रिपोर्ट में बताया गया कि ईरान ने लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का उपयोग कर इजराइल को “कड़ा संदेश” दिया है। मिसाइलों से हुए नुकसान के बावजूद इजराइली शेयर बाजार में अप्रत्याशित उछाल देखा गया, जिसे बाजार की जुझारू मानसिकता का संकेत माना जा रहा है।
मानवाधिकार रिपोर्ट: भारी जनहानि
वॉशिंगटन स्थित ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स ग्रुप के अनुसार, इजराइली हमलों में अब तक ईरान में 639 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,329 लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में 263 आम नागरिक और 154 सुरक्षा बल के जवान शामिल हैं। ये आंकड़े स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हस्तक्षेप के लिए मजबूर कर रहे हैं।
IAEA की चेतावनी और अंतरराष्ट्रीय चिंता
संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी संस्था IAEA ने इजराइल से अपील की थी कि वह ईरान के परमाणु स्थलों को निशाना न बनाए। IAEA ने आखिरी बार 14 मई को अराक रिएक्टर का निरीक्षण किया था। अब जब वहां हमला हुआ है, तो वैश्विक स्तर पर परमाणु युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
IAEA की चेतावनी के बावजूद, इस तरह के हमले इस संघर्ष को परमाणु टकराव की ओर धकेल सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, दोनों देशों द्वारा एक-दूसरे के रणनीतिक ठिकानों को निशाना बनाया जाना अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
निष्कर्ष: क्षेत्रीय अस्थिरता की ओर बढ़ता संघर्ष
ईरान-इजराइल का यह नया टकराव पश्चिम एशिया में अस्थिरता की लहर पैदा कर रहा है। जहां एक ओर क्षेत्रीय शक्तियां अपने-अपने हितों की सुरक्षा में लगी हैं, वहीं आम नागरिक इसकी सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं। अगर समय रहते कूटनीतिक समाधान नहीं निकाला गया, तो यह संघर्ष न केवल परमाणु खतरे को जन्म देगा, बल्कि वैश्विक संकट का रूप भी ले सकता है।