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गोपालन को बढ़ावा देने के लिए उमा भारती ने भाजपा से की अहम बैठक, दिए प्रेरक सुझाव

गोपालन को बढ़ावा देने के लिए उमा भारती ने भाजपा से की अहम बैठक, दिए प्रेरक सुझाव

उमा भारती ने गोपालन को लेकर भाजपा से की अहम बैठक, सरकार को दिए प्रेरक सुझाव

भोपाल। गायों की रक्षा और उनके बेहतर लालन-पालन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भाजपा नेतृत्व से मुलाकात की और गो संवर्द्धन अभियान को लेकर अपने सुझाव साझा किए। यह बैठक गोपालन को बढ़ावा देने और किसानों को प्रेरित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।

उमा भारती ने इस अवसर पर कहा कि गाय केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि वे कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान देती हैं। उनका कहना था कि सरकार की गो संवर्द्धन नीति सराहनीय है, लेकिन इसमें कुछ सुधार और नए कदम उठाए जा सकते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से मुलाकात की और गोपालन को मजबूत करने के लिए अपने सुझाव साझा किए। बैठक के दौरान उमा भारती ने सरकार की नीति की तारीफ की और साथ ही कई प्रेरक उपायों सुझाए, जो न केवल गायों की देखभाल को सुनिश्चित करेंगे बल्कि किसानों के लिए भी लाभकारी साबित होंगे।


👥 बैठक और सुझावों का विवरण

बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि उमा भारती ने गोपालन को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि उमा भारती के सुझावों से सरकार और संगठन दोनों सहमत हैं। इन सुझावों में मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • गोशालाओं का सुधार और बेहतर प्रबंधन।

  • किसानों को गोपालन में आर्थिक प्रोत्साहन देना।

  • गायों के स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान देना।

  • गो-संवर्धन के लिए जागरूकता अभियान का विस्तार।

  • ग्रामीण इलाकों में गोपालन को रोजगार आधारित मॉडल में बदलना।

खंडेलवाल ने कहा कि उमा भारती के सुझाव प्रेरणादायी हैं और सरकार जल्द ही उन पर अमल करने की योजना बना रही है। उनका मानना है कि इस पहल से गोपालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों को मजबूती मिलेगी।


🐄 गोपालन और किसानों पर असर

उमा भारती ने विशेष रूप से यह भी कहा कि गोपालन केवल धार्मिक या सांस्कृतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह किसानों के जीवन और आय का भी एक स्रोत हो सकता है। अगर सही तरीके से प्रोत्साहन और तकनीकी मदद दी जाए, तो किसान गोपालन से अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, गोपालन से कृषि कार्यों में प्राकृतिक उर्वरक और गोबर के उपयोग से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने किसानों और ग्रामीणों को सक्रिय रूप से इस अभियान में शामिल करने का सुझाव भी दिया। उनका कहना था कि जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम से गोपालन को और प्रभावी बनाया जा सकता है।

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