वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ (शुल्क) को अमेरिकी फेडरल ट्रेड कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि ट्रंप ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया और अमेरिकी संविधान के दायरे से बाहर जाकर टैरिफ लगाने की कोशिश की।
फैसला: ट्रंप ने कानून का किया गलत इस्तेमाल
मैनहैटन स्थित फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) का गलत इस्तेमाल किया। यह कानून राष्ट्रपति को कुछ आपातकालीन आर्थिक अधिकार देता है, लेकिन कोर्ट ने पाया कि ट्रंप ने बिना ठोस आधार के इस कानून का उपयोग करते हुए आयात पर व्यापक पैमाने पर टैरिफ लागू कर दिए।
कोर्ट का तर्क:
संविधान के अनुसार, अमेरिका की संसद (कांग्रेस) को ही विदेशी व्यापार को नियंत्रित करने का विशेषाधिकार है। ऐसे में राष्ट्रपति सिर्फ इकोनॉमिक इमरजेंसी का हवाला देकर अपनी शक्तियों से बाहर जाकर कोई भी निर्णय नहीं ले सकते।
क्या था ट्रंप का फैसला?
2 अप्रैल 2025 को ट्रंप प्रशासन ने ‘सेलेब्रेशन डे’ के नाम पर 100 से अधिक देशों से आने वाले आयातित सामान पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। ट्रंप का दावा था कि इससे अमेरिका की घरेलू औद्योगिक संरचना मजबूत होगी और व्यापार में असंतुलन खत्म होगा।
हालांकि, विरोध और वैश्विक प्रतिक्रियाओं के चलते बाद में चीन को छोड़कर सभी देशों के लिए 90 दिनों की छूट दी गई थी। चीन पर टैरिफ 145% तक बढ़ा दिया गया था। बाद में वार्ता के बाद उसे भी कुछ राहत दी गई।
कोर्ट के फैसले का असर:
इस फैसले को छोटे अमेरिकी व्यापारियों और संगठनों ने बड़ी राहत बताया है। लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने छोटे व्यापारियों की ओर से कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि ट्रंप की टैरिफ नीति से छोटे व्यवसायों पर बोझ बढ़ रहा है और लागत में भारी वृद्धि हो रही है।
कोर्ट ने इन दलीलों को सही मानते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पास इस स्तर पर टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
ट्रंप प्रशासन करेगा अपील
कोर्ट के फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा। ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर लिखा कि, “मेरे टैरिफ ने अमेरिका को फिर से महान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।” कोर्ट ने सुझाव दिया है कि ट्रंप ट्रेड एक्ट 1974 की धारा 122 के तहत अधिकतम 150 दिनों के लिए 15% तक का टैरिफ लगा सकते हैं, लेकिन उसके लिए ठोस आधार जरूरी होगा।
WTO की चेतावनी:
विश्व व्यापार संगठन (WTO) पहले ही चेतावनी दे चुका था कि ट्रंप की टैरिफ नीति से वैश्विक व्यापार में 81% तक गिरावट आ सकती है। ऐसे में कोर्ट का यह फैसला वैश्विक व्यापार पर मंडरा रहे खतरे को कुछ हद तक कम कर सकता है।