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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग से इंपीचमेंट लिंक

Jagdeep Dhankhar: हमारे देश की राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता और जब अचानक होता है, तो उसके पीछे बहुत कुछ छिपा होता है। ऐसा ही एक और वाकया एक बार फिर देखने को मिला जहा रातों-रात देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन क्या ये महज एक व्यक्तिगत निर्णय है या फिर इसके पीछे सत्ता के गलियारों में कोई बड़ी हलचल चल रही थी?

Jagdeep Dhankhar
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BSC बैठक में सत्ता पक्ष का कोई मंत्री नहीं 

21 जुलाई की शाम को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। लेकिन यह इस्तीफा ऐसे ही नहीं आया। इसी दिन दो अहम बैठकें हुईं बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BSC) की। ये वही कमेटी है जो संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही की रूपरेखा तय करती है। पहली बैठक दोपहर 1 बजे और दूसरी शाम 4 बजे बुलाई गई, लेकिन दोनों बार सत्ता पक्ष के कोई भी वरिष्ठ मंत्री मौजूद नहीं रहे।

किरण रिजिजू, जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, यहां तक कि गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सभी संसद परिसर में मौजूद थे, लेकिन BSC की बैठक में कोई शामिल नहीं हुआ। ये महज संयोग था या संकेत? कुछ ही घंटे बाद इस्तीफे की घोषणा होती है। इस इस्तीफे का संबंध सीधे तौर पर राज्यसभा में लंबित एक बेहद संवेदनशील मसले, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से जुड़ता नजर आ रहा है।

Jagdeep Dhankhar
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असली सस्पेंस यह कि, जस्टिस यशवंत वर्मा ये वही नाम है, जिन पर विपक्ष द्वारा महाभियोग लाने की बात सामने आ रही थी। उपराष्ट्रपति, जो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, उनके पास इस प्रस्ताव पर विचार करना था। धनखड़ ने कुछ दिन पहले कहा भी था कि उन्हें सांसदों के दस्तखत मिल चुके हैं। लेकिन जैसे ही ये प्रक्रिया औपचारिक मोड़ लेने जा रही थी तभी अचानक इस्तीफा? क्या धनखड़ किसी दबाव में थे या उन्हें ये कार्रवाई रोकने के लिए इस्तीफा देने को कहा गया?

महाभियोग प्रस्ताव को टालने का तरीका

23 जुलाई को जयपुर में एक कार्यक्रम में धनखड़ को शामिल होना था। मीडिया को आधिकारिक जानकारी भेजी जा चुकी थी, लेकिन आज अचानक इस्तीफे से ये पूरा शेड्यूल भी निरस्त हो गया। तो क्या ये इस्तीफा किसी तरह से वर्मा महाभियोग प्रस्ताव को टालने का तरीका था? क्योंकि जैसे ही धनखड़ पद पर नहीं रहेंगे, राज्यसभा में सभापति पद रिक्त हो जाएगा और संवैधानिक तौर पर उस प्रस्ताव पर कार्रवाई नहीं हो पाएगी। ऐसे में जस्टिस वर्मा के खिलाफ संभावित ट्रायल फिलहाल अधर में लटक गया है।

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अब बड़ा सवाल ये भी है कि आगे क्या? क्या राष्ट्रपति किसी को कार्यवाहक उपराष्ट्रपति नियुक्त करेंगी? या फिर उपसभापति हरिवंश राज्यसभा की कार्यवाही संभालेंगे और फिर, अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? कयास तेज हैं – नीतीश कुमार का नाम भी चर्चा में है, साथ ही कुछ और वरिष्ठ नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं। लेकिन सस्पेंस अभी बाकी है….

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