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क्या पाकिस्तान में रखा जाएगा ईरान का परमाणु सामान? ट्रंप-मुनीर मुलाक़ात पर गहराया संदेह

वॉशिंगटन/तेहरान/इस्लामाबाद।
ईरान और इज़रायल के बीच लगातार गहराते तनाव के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर की गुप्त मुलाकात ने वैश्विक रणनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। खासतौर पर जब यह दावा किया जा रहा है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े संवेदनशील सामग्री को पाकिस्तान में स्थानांतरित किया जा सकता है।

ट्रंप-जनरल मुनीर मुलाकात: एक रणनीतिक संयोग?

हाल ही में लंदन में ट्रंप और जनरल मुनीर के बीच गोपनीय बैठक हुई, जिसे आधिकारिक तौर पर “अनौपचारिक लंच” बताया गया। हालांकि अमेरिकी थिंक टैंक अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टिट्यूट के विश्लेषक माइकल रूबिन ने आशंका जताई है कि यह महज एक लंच नहीं, बल्कि ईरान के परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच गंभीर रणनीतिक संवाद था।

रूबिन के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की संभावनाओं को खंगाल रहा है। यदि ऐसी कार्रवाई होती है, तो ईरान की संवेदनशील परमाणु संपत्ति को कहीं और स्थानांतरित करना जरूरी होगा — और पाकिस्तान एक संभावित ठिकाना हो सकता है। रूबिन का कहना है, “ट्रंप पाकिस्तान को ‘कीमत देकर’ मित्र बनाना चाहते हैं। उनका लक्ष्य है — ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करना।”

पाकिस्तान की चिंता: सीमा पार आतंक और अस्थिरता

जनरल असीम मुनीर ने ट्रंप से स्पष्ट किया कि यदि ईरान में सैन्य हस्तक्षेप होता है, तो पाकिस्तान-ईरान सीमा पर चरमपंथी गुट सक्रिय हो सकते हैं। यह न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को प्रभावित करेगा, बल्कि ईरान में इस्लामी शासन की स्थिरता पर भी गंभीर असर डालेगा।

पाकिस्तानी अधिकारियों को यह भी डर है कि ईरान-इज़रायल युद्ध से बलूच बहुल क्षेत्रों में चरमपंथ को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, अलगाववादी गुट इस संघर्ष को “ऐतिहासिक अवसर” मानकर पाकिस्तान के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकते हैं।


भारत पर ईरान का दबाव

भारत में तैनात ईरान के उप-राजदूत मो. जवाद हुसैनी ने भारत से इज़रायल की सार्वजनिक निंदा करने और “दक्षिण वैश्विक नेतृत्व” की भूमिका निभाने की अपील की है। उन्होंने कहा, “भारत जैसे शक्तिशाली और शांतिप्रिय देश को इज़रायल की खुलकर आलोचना करनी चाहिए।” हुसैनी ने यह भी जोड़ा कि ईरान को भारत से भविष्य में और समझदारी व सहयोग की उम्मीद है।


व्हाइट हाउस की पुष्टि: ईरान पर फैसला दो हफ्तों में

इन अटकलों के बीच व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरेन लेडविट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, “राष्ट्रपति ट्रंप अगले दो हफ्तों में यह तय करेंगे कि अमेरिका ईरान के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा या नहीं।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी मीडिया चैनल CBS ने रिपोर्ट किया कि ट्रंप ईरान के फोर्डो परमाणु ठिकाने को “नष्ट करना अनिवार्य” मानते हैं।


ट्रंप-मुनीर लंच पर उठे सवाल

ईरानी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे असीम मुनीर की हालिया अमेरिका यात्रा को संदेह की निगाह से देख रहे हैं। मुनीर कुछ सप्ताह पहले ही तेहरान यात्रा पर भी गए थे, जहां उन्होंने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई से मुलाकात की थी। ऐसे में विश्लेषक पूछ रहे हैं — पाकिस्तान किसके साथ खड़ा है: तेहरान या वाशिंगटन?

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