इंदौर की सड़कों पर बढ़ती भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा किए जा रहे सभी प्रयास अब तक नाकाम साबित हुए हैं। शहर के विभिन्न चौराहों और सड़कों पर भिक्षुकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। यह स्थिति वाहन चालकों और आम जनता के लिए असुविधा का कारण बन रही है, क्योंकि ये भिक्षुक पैसे मांगने के लिए कई बार बदसलूकी पर उतर आते हैं। इस प्रकार की घटनाओं की शिकायतें इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह तक भी पहुंची हैं, जिन्होंने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं की टीमें लगातार भिक्षुकों को शहर की सड़कों से हटाने और उन्हें पुनर्वास केंद्रों में भेजने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि शहर के कुछ इलाकों में इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं, जहां से भिक्षुकों की संख्या में कमी आई है। हालांकि, अब शहर के कुछ नए इलाकों में भिक्षुकों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है, जो प्रशासन के लिए एक नई चुनौती बन गई है।
इस समस्या के समाधान के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने आगामी दिनों में और अधिक प्रभावी कार्रवाई करने की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने आम जनता से अपील की है कि वे भिक्षुकों को भिक्षा न दें और प्रशासन की इस मुहिम में सहयोग करें। कलेक्टर का मानना है कि अगर लोग भिक्षा देना बंद कर देंगे तो भिक्षावृत्ति की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार, प्रशासन का उद्देश्य भिक्षुकों को सड़कों से हटाकर उन्हें पुनर्वास केंद्रों में भेजना और उन्हें बेहतर जीवन प्रदान करना है। लेकिन यह तभी संभव होगा जब आम जनता भी प्रशासन के साथ इस अभियान में सक्रिय सहयोग करे।