योग: सनातन संस्कृति का अमूल्य उपहार, मानवता के लिए भारत का संदेश

भोपाल।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग को सनातन हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की ओर से पूरी मानवता को एक दिव्य भेंट बताया। उन्होंने योग को चेतना और परम चेतना के मिलन की वह स्थिति बताया, जिसे हर जीव प्राप्त कर सकता है। यह सिर्फ शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागरण का मार्ग है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया, जो आज एक वैश्विक उत्सव बन चुका है। मोदी जी ने समग्र स्वास्थ्य और रोकथाम आधारित चिकित्सा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाकर एक नए युग की शुरुआत की है।
‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ का संदेश
इस वर्ष का योग दिवस ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ विषय को समर्पित है। इसका उद्देश्य है – व्यक्तिगत स्वास्थ्य और पृथ्वी के स्वास्थ्य के बीच संतुलन स्थापित करना। मुख्यमंत्री ने कहा, जब व्यक्ति स्वस्थ होता है तो वह पर्यावरण और समाज के प्रति अधिक सचेत और संवेदनशील होता है।
उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया में एक अद्भुत योग वातावरण बना है। भारत की योग विरासत आज पूरे विश्व को मार्गदर्शन दे रही है। योग धर्म, जाति और सीमा से परे, मानवता के लिए कल्याणकारी है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस न केवल भारत का गौरव बढ़ाता है, बल्कि विश्व बंधुत्व और शांति की ओर क्रांतिकारी कदम भी है।
योग से क्या मिलता है?
मुख्यमंत्री ने योग का सबसे सरल उत्तर दिया — “शांति”।
अशांत मन और अनियंत्रित शरीर समाज में नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। योग से मिलता है शांति, जिससे उपजती है एकाग्रता और फिर सकारात्मक ऊर्जा। यह ऊर्जा जीवन को संतुलन, करुणा और धैर्य से भर देती है।
स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि शांत मन से ही ध्यान, एकाग्रता और निर्णय की शक्ति प्राप्त होती है। योग, ध्यान और प्राणायाम मन को दूषित विचारों से मुक्त करते हैं।
योग: भारतीय परंपरा और दर्शन
मुख्यमंत्री यादव ने भारतीय ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा:
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कठोपनिषद: योग को इंद्रियों पर नियंत्रण की विद्या कहा गया है।
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श्रीमद्भगवद्गीता: योग को दुख से वियोग होना बताया गया।
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महर्षि पतंजलि: योग को चित्त की वृत्तियों पर नियंत्रण की विधा कहा।
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महर्षि अरविंद: सम्पूर्ण जीवन को योग बताया।
योग, सिर्फ शरीर साधना नहीं, बल्कि परम चेतना में प्रवेश का मार्ग है। यह स्थिति तब आती है जब मन केवल धर्म, दया, करुणा और शांति से जुड़ा हो।
वैश्विक योग: भेदभाव से परे
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पूरी दुनिया एक साथ योग करती है, तो भौगोलिक सीमाएं, धर्म, जाति और रंग का बोध समाप्त हो जाता है। मन एकरूप होकर वैश्विक एकता की अनुभूति करता है। योग की क्रियाएं प्रकृति की देन हैं, और यह विद्या सदा से विद्यमान रही है, बस हमें पुनः जागने की जरूरत है।