चीन की मिसाइल PL-15E का भारत में मलबा बरामद – रिवर्स इंजीनियरिंग से खोले जाएंगे राज

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की। इस दौरान पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई में चीनी PL-15E मिसाइल का उपयोग किया, जिसे भारतीय सुरक्षा बलों ने पंजाब में मार गिराया। अब भारत इस मिसाइल के मलबे की रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए चीन की सैन्य तकनीक का राज़ खोलने की तैयारी कर रहा है, जिससे बीजिंग में खलबली मच गई है।
क्या है PL-15E मिसाइल?
PL-15E एक एयर-टू-एयर लॉन्ग रेंज मिसाइल है, जो रडार-गाइडेड प्रणाली पर आधारित होती है। इसे चीन की सरकारी रक्षा कंपनी AVIC (Aviation Industry Corporation of China) द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल आधुनिक AESA रडार, डेटा लिंक और अडवांस प्रोपल्शन सिस्टम से लैस होती है, जिससे यह दुश्मन के विमानों को 200-300 किमी की दूरी से भी मार गिरा सकती है।
कैसे मिला भारत को यह मलबा?
पाकिस्तानी फाइटर जेट J-10C और JF-17 ने इस मिसाइल का प्रयोग भारतीय वायुसेना के विमानों पर किया था, लेकिन यह लक्ष्य भेदने में विफल रही। भारतीय जवाबी कार्रवाई में यह मिसाइल पंजाब के होशियारपुर जिले के पास गिर गई, जिसका मुख्य प्रोपल्शन यूनिट, डेटा लिंक मॉड्यूल, इलेक्ट्रॉनिक सर्किटरी और AESA रडार यूनिट साबुत हालत में बरामद किया गया।
रिवर्स इंजीनियरिंग से क्या मिलेगा भारत को?
रिवर्स इंजीनियरिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी उपकरण या तकनीक को तोड़कर उसके आंतरिक ढांचे, डिजाइन और कार्यप्रणाली को समझा जाता है। भारत इस PL-15E मिसाइल के माध्यम से:
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चीन की रडार और गाइडेंस तकनीक को समझ सकेगा।
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अपनी मिसाइल तकनीक, जैसे अस्त्र मिसाइल प्रोग्राम, को और बेहतर कर सकेगा।
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स्वदेशी लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों के विकास में इसका प्रयोग कर सकेगा।
चीन में मची खलबली, 5 Eyes देशों की भी नज़र
इस घटना ने सिर्फ भारत और चीन के बीच तनाव को नहीं बढ़ाया, बल्कि दुनिया भर की सैन्य एजेंसियों का ध्यान भी खींचा है। अमेरिका, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का खुफिया समूह “Five Eyes” इस मिसाइल के मलबे की स्टडी में रुचि दिखा रहा है। इसके अलावा जापान और साउथ कोरिया भी इस तकनीक को समझने के लिए सहयोग की पेशकश कर चुके हैं।
भारत को क्या मिलेगा इससे?
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PL-15E जैसी मिसाइलों की कमजोरियों और ताकत का विश्लेषण।
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चीन की वायु शक्ति और डिफेंस टेक्नोलॉजी की रियल-टाइम समझ।
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भारतीय रक्षा अनुसंधान को तेज़ी से आगे बढ़ाने का एक दुर्लभ अवसर।
निष्कर्ष
PL-15E का भारत में गिरना और उसका बरामद होना केवल एक सैन्य घटना नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मौका है। भारत अब इस मिसाइल के ज़रिए न केवल अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा, बल्कि चीन की तकनीकी चालबाजियों को भी बेनकाब करने की स्थिति में आ गया है। रिवर्स इंजीनियरिंग से भारतीय रक्षा तकनीक को जो बढ़त मिलेगी, वह आने वाले वर्षों में हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।