Mohan Bhagwat: इंदौर में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में संगीत के महत्व और उसकी शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “सतत् इतना संगीत वादन करना बड़ी बात है। ऐसा वादन देखकर आश्चर्य होता है।” उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा, “पांडवों की ओर से शंख बजाए गए तो कौरवों के हृदय तक पहुंचे। पहले मिल्ट्री और पुलिस ही इस तरह का वादन करती थी।”
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संघ प्रमुख ने आगे कहा, “हम झगड़ा करते नहीं हैं, लेकिन अगर कोई हम पर आकर गिर जाए तो उसका कोई इलाज नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा, “जिसकी शिकायत समाप्त हो जाती है, उसके जीवन में आनंद ही आनंद रहता है।” संगीत के महत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “सतगुणों की ठेकेदार हम हैं, लेकिन केवल ऐसा नहीं है।
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व्यक्तिगत दृष्टि से गुणवान बनना, सामूहिक दृष्टि से गुणवान बनना, लेकिन यह मातृभूमि के चरणों में अर्पण हो।” उन्होंने संगीत के वादन को प्रचंड मेहनत और समर्पण का परिणाम बताया, “यह वादन जो आज हुआ, वह प्रचंड मेहनत है। कम समय में इतना अच्छा वादन कराया है।” संघ प्रमुख ने सभी से आह्वान किया कि इस कार्यक्रम के बारे में सोचें और इसकी जड़ तक पहुंचे।
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