क्राइमटॉप-न्यूज़मध्यप्रदेश

13 दिन से लापता अर्चना तिवारी पहुंची भोपाल

बारिकी से बना प्लान लेकिन सुराग छोड़ती गई अर्चना

Archana Tiwari: मप्र की युवा वकील अर्चना तिवारी का 13 दिन तक रहस्यमय तरीके से गायब होना केवल उनके परिवार ही नहीं बल्कि पूरे पुलिस के लिए भी चुनौती बन गया था। जज बनने का सपना देखने वाली 29 साल की अर्चना ने जिस बारीकी से अपने गायब होने का प्लान बनाया, उसने हर किसी को हैरान कर दिया। इस कहानी में अर्चना अकेली नहीं थी तीन लड़के और एक विदेशी दोस्त वह किरदार बने, जिनकी मदद से अर्चना 12 दिन तक पुलिस और परिवार की नजरों से बची रही।

Archana Tiwari
Archana Tiwari

शादी का दबाव में आया भागने का ख्याल

दरअसल, अर्चना के परिवार वाले उनकी शादी एक पटवारी से तय कर रहे थे। परिवार का कहना था कि, पढ़ाई-लिखाई होती रहेगी अब शादी भी कर लो। लेकिन अर्चना इस रिश्ते से खुश नहीं थीं, सिविल जज की तैयारी कर रही अर्चना का मानना था कि शादी उनकी पढ़ाई और करियर दोनों के बीच बाधा बनेगी। इसी असहमति ने उनकी ज़िंदगी को उस मोड़ पर ला खड़ा किया, जहां उन्होंने घरवालों से बचने के लिए गायब होने का नाटक रचा।

ऐसे हुई प्लान की शुरुआत

इंदौर में पढ़ाई के दौरान अर्चना की पहचान शुजालपुर निवासी सारांश से हुई। दोनों में नज़दीकियां बढ़ीं और जब अर्चना ने शादी से बचने की मजबूरी साझा की तो सारांश उनके साथ खड़ा हो गया, 6 अगस्त को हरदा में बैठकर अर्चना, सारांश और तेजेंद्र नाम के एक युवक ने पूरी मिसिंग प्लान की पटकथा लिखी। तेजेंद्र, पेशे से ड्राइवर, अक्सर अर्चना को आउटस्टेशन ले जाया करता था।

Archana Tiwari
Archana Tiwari

इसीलिए उसे इस रहस्यमय प्लान में शामिल किया गया तय हुआ कि, अर्चना नर्मदा एक्सप्रेस से कटनी जाने का बहाना करेंगी और बीच रास्ते से गायब हो जाएंगी। योजना के मुताबिक, इटारसी स्टेशन तक तेजेंद्र ट्रेन में उनके साथ रहा। बाद में उसे अर्चना का मोबाइल और कुछ कपड़े दिए गए, जिन्हें उसने मिडघाट के जंगल में फेंक दिया ताकि लगे कि लड़की कहीं गिर गई या हादसे का शिकार हो गई।

इटारसी स्टेशन पर अर्चना प्लेटफॉर्म छोड़कर सीधे सारांश की कार में बैठ गईं। वहां, से दोनों ने ऐसी राहें चुनीं जहां न तो टोल टैक्स पड़े और न ही फास्टैग या CCTV के जरिए ट्रैकिंग हो सके। अर्चना कार की सीट पर लेटकर यात्रा करती रहीं ताकि, किसी कैमरे में कैद न हों। दोनों पहले शुजालपुर, फिर बुरहानपुर पहुंचे इसके बाद हैदराबाद, जोधपुर और दिल्ली तक का सफर तय किया गया। यह सब केवल इसलिए ताकि पुलिस गुमराह हो और किसी को भनक न लगे कि अर्चना सुरक्षित हैं।

Archana Tiwari
Archana Tiwari

विदेशी दोस्त ने दिलाया सिम

दिल्ली से दोनों नेपाल पहुंचे, यहां अर्चना को एक नेपाली युवक वायासी देवकोटा ने शरण दी। अर्चना पहले से वायासी के संपर्क में थीं और उन्हें भरोसा था कि नेपाल में वे आसानी से छिपी रह सकेंगी। लेकिन मामला मीडिया में उछलने और पुलिस जांच गहराने के बाद हालात बदल गए, सारांश अर्चना को नेपाल छोड़कर शुजालपुर लौट आया जबकि अर्चना देवकोटा की मदद से कुछ दिनों तक नेपाल-भारत बॉर्डर इलाके में रहीं।

इस पूरी कहानी में एक नाम और सामने आया राम तोमर का, अर्चना की उनसे पहचान तब हुई थी। जब वह जबलपुर में प्रैक्टिस कर रही थीं. तोमर चाहते थे कि अर्चना ग्वालियर आकर उनके साथ प्रैक्टिस करें, लेकिन अर्चना उनसे दूरी बनाए रखती थीं। पुलिस जांच में साफ हुआ कि, अर्चना के गायब होने में राम तोमर की कोई भूमिका नहीं थी लेकिन वह उससे बात करता था और टिकट भी उसी ने कटवाया था।

Archana Tiwari
Archana Tiwari

पुलिस की कड़ी मेहनत और मिला सुराग

12 दिनों तक 70 सदस्यीय टीम ने लगातार जांच की, 500 से अधिक CCTV फुटेज खंगाले गए जिसमे अर्चना के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) की पड़ताल की गई। यहीं से पुलिस को सारांश पर शक हुआ, क्योंकि उसके नंबर पर अर्चना की कॉल्स बाकी लोगों से कहीं ज्यादा थीं। नंबर की लोकेशन ट्रैक हुई और कड़ियां जोड़ते-जोड़ते पुलिस सारांश तक पहुंच गई, सारांश को हिरासत में लेते ही उसने पूरी सच्चाई उगल दी। इसके बाद पुलिस ने नेपाल में रह रही अर्चना को ट्रेस किया और दिल्ली के रास्ते वापस भोपाल लाया गया।

रेल SP राहुल कुमार लोढ़ा के मुताबिक, अर्चना खुद इस पूरे ऑपरेशन की मास्टरमाइंड थीं। उन्होंने 10 दिन पहले से ही अपना मोबाइल कम इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था, नया फोन या सिम लेने की हिम्मत नहीं की ताकि ट्रेस न हो सकें। उन्होंने शुजालपुर में किराए का कमरा भी ले लिया था, ताकि एमपी में ही छिपी रहें। लेकिन जैसे ही मामला मीडिया में हाई-प्रोफाइल हुआ, उन्हें सुरक्षित जगह की तलाश करनी पड़ी और वे हैदराबाद होते हुए नेपाल चली गईं। फिर भी, जितनी बारीकी से प्लान बनाया गया था, उतनी ही अनजाने में अर्चना सुराग भी छोड़ती गईं।

Archana Tiwari
Archana Tiwari

सारांश, तेजेंद्र और वायासी ने की मदद

मोबाइल से की गई लंबी कॉल्स, सीडीआर में बार-बार दिखता सारांश का नंबर और कुछ कैमरों में कार की छिटपुट झलकियां। इन्हीं ने पुलिस को सही दिशा में पहुंचा दिया, पुलिस ने साफ किया कि इस पूरे मामले में अर्चना ही मास्टरमाइंड थीं। सारांश, तेजेंद्र और वायासी ने उनकी मदद की लेकिन पूरी कहानी की पटकथा उन्होंने खुद लिखी थी। शादी से बचने की कोशिश में वह 12 दिन तक रहस्यमय ढंग से गायब रहीं, मगर अंततः लौटना पड़ा।

MORE NEWS>>>मुंबई में अंधविश्वास के चलते महिला से रेप

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
मेना फोन पर ट्रंप का निमंत्रण को ठुकरा दिया राजा, राज सोनम और वो के बीच उलझी हत्याकांड की कहानी BJP नेता के CNG पंप पर पैसों को लेकर विवाद बढ़ा। ईरान से भारतीयों को रेस्क्यू करने के ऑपरेशन को सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ नाम दिया है।