MP High Court: भोपाल गैस कांड के जहरीले कचरे के निष्पादन को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। युगलपीठ ने इंदौर के डॉक्टरों समेत अन्य हस्तक्षेप याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई में सबसे पहले कचरा जलाने का विरोध कर रहे लोगों को जागरूक करने के लिए राज्य शासन ने समय मांगा।
राज्य शासन की याचिका
राज्य शासन का कहना था कि कचरा जलाने से पहले इसे लेकर लोगों को सही जानकारी दी जाएगी, ताकि इस प्रक्रिया को लेकर किसी प्रकार की गलतफहमियां न फैले। इसके अलावा, राज्य शासन ने रामकी में खड़े कचरे के कंटेनर को ट्रक से अलग करने के लिए अदालत से इजाजत मांगी, जिसे कोर्ट ने नकारते हुए कहा कि इसके लिए विशेष अनुमति की जरूरत नहीं है।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि, इस प्रक्रिया को बिना किसी अनुमति के आगे बढ़ाया जा सकता है। इस दौरान, राज्य शासन द्वारा उठाए गए कई मुद्दों पर अदालत ने विस्तृत चर्चा की। कानून व्यवस्था का हवाला देकर हाईकोर्ट से जहरीले कचरे से भरे कंटेनर को अनलोड करने की परमिशन मांगी गई। कोर्ट ने पूछा: जब आपके पास डिस्पोजल करने तक के आदेश हैं तो आप आखिर अनलोड करने की अनुमति कोर्ट से क्यों चाहते हैं।
कचरे की निष्पादन लागत को लेकर भी अदालत में सवाल उठे
बताया गया कि, 2005 में जहरीले कचरे के निष्पादन की लागत महज 15 रुपये प्रति किलो थी, जबकि आज यह खर्च 3700 रुपये प्रति किलो से अधिक हो गया है। इस पर अदालत ने टिप्पणी की कि इस मुद्दे को फिलहाल यथास्थिति पर छोड़ दिया जाए और भविष्य में अगर इस मामले पर फिर से सवाल उठे, तो अलग PIL दायर किया जा सकता है। युगलपीठ ने फेक मीडिया रिपोर्ट्स पर भी सख्त रुख दिखाया। अदालत ने राज्य शासन को निर्देशित किया कि वह फर्जी खबरों को लेकर सख्त कदम उठाए और जनता को सही जानकारी प्रदान करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो भी पक्ष इस मामले में सवाल उठा रहे हैं, राज्य शासन को उनका निराकरण करना होगा।
अंत में, अदालत ने आदेश लिखा और कहा कि इस मामले में आधिकारिक आदेश शाम तक जारी किया जा सकता है। इसके बाद, कोर्ट ने राज्य शासन को समय दिया कि वह इस मामले में सभी संबंधित मुद्दों का समाधान निकाले। इस सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि भोपाल गैस कांड के जहरीले कचरे के निष्पादन को लेकर राज्य शासन को अदालत द्वारा कई निर्देश दिए गए हैं, और इस मामले पर आगे की सुनवाई के लिए राज्य शासन को उचित कदम उठाने को कहा गया है।
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