Maha Kumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में शनिवार की रात अचानक आग लगने से सनसनी फैल गई। गीता प्रेस के 180 टेंट जलकर राख हो गए, लेकिन सबसे बड़ी राहत यह रही कि आग पर समय रहते काबू पा लिया गया। अगर आग ज्यादा फैलती, तो यह महाकुंभ में उपस्थित लाखों श्रद्धालुओं और साधु-संतों के लिए एक बड़ा संकट बन सकता था।
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इस घटना के समय आग की लपटें तेज़ थीं और हवा के प्रभाव से आग का फैलना भी संभव था। आग बढ़ने पर टेंटों में फंसे हुए लोग, विशेषकर महिलाएं और बच्चे, गंभीर रूप से घायल हो सकते थे। महाकुंभ जैसे विशाल धार्मिक आयोजन में अगर आग फैलती, तो हज़ारों की संख्या में लोग आहत हो सकते थे। आग के कारण अन्य टेंटों में रखा सामान, रात्रि विश्राम की व्यवस्था, और अन्य आपातकालीन चीजें भी जलकर राख हो सकती थीं। स्थिति इतनी बिगड़ सकती थी कि असमय हज़ारों लोग प्रभावित होते। तात्कालिक राहत और बचाव कार्यों की आवश्यकता होती, जिससे और अधिक जानमाल का नुकसान न हो।
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महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है। रात के समय, जब लोग विश्राम कर रहे होते हैं, अचानक आग लगने से भगदड़ मचने की संभावना अधिक होती। इस घबराहट में लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ सकते थे और भारी भीड़ के कारण बहुत बड़ा हादसा हो सकता था।
इसके अलावा, आग के कारण विषैले गैसों का भी प्रसार हो सकता था, जिससे लोगों को साँस लेने में कठिनाई हो सकती थी। धुएं और आग के संपर्क में आकर लोग बेहोश हो सकते थे, जिससे और भी ज्यादा गंभीर हालात पैदा हो सकते थे।
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प्रशासन की तत्परता से बड़ा संकट टला
प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस घटना के परिणाम को नियंत्रित किया। फायर ब्रिगेड की टीम ने तुरंत आग पर काबू पाया और स्थिति को सामान्य किया। अगर आग को बढ़ने का मौका मिलता, तो इसके परिणाम और भी भयावह हो सकते थे। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में सुरक्षा और सावधानी का स्तर हमेशा उच्च होना चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके और श्रद्धालुओं की जान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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