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इंदौर: भाजपा दफ्तर पर कालिख और कांग्रेस में चिंटू चौकसे के खिलाफ बगावत, दोनों पार्टियों में अंदरूनी सियासी जंग

इंदौर: भाजपा दफ्तर पर कालिख और कांग्रेस में चिंटू चौकसे के खिलाफ बगावत, दोनों पार्टियों में अंदरूनी सियासी जंग

🔹 इंदौर: भाजपा-दफ्तर पर कालिख, कांग्रेस में चिंटू चौकसे के खिलाफ बगावत; दोनों पार्टियों की अंदरूनी लड़ाई बेकाबू

इंदौर की सियासत इन दिनों अंदरूनी विवादों की आग में झुलस रही है। दोनों बड़ी पार्टियां—भाजपा और कांग्रेस—अपने कार्यकारिणी विवादों के चलते शहर की राजनीति में हड़कंप मचा रही हैं।


🔹 भाजपा में कार्यकारिणी विवाद ने मचाया भूचाल

28 अक्टूबर 2025 को इंदौर नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने अपनी नियुक्ति के करीब 9 महीने बाद नई नगर कार्यकारिणी की घोषणा की। लेकिन सूची जारी होते ही पार्टी के भीतर भूचाल आ गया। नाराज कार्यकर्ताओं ने भाजपा दफ्तर का रुख किया और अध्यक्ष सुमित मिश्रा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए—“सुमित मिश्रा गुंडा है”—और अध्यक्ष के केबिन की नेमप्लेट और गेट पर कालिख पोत दी। इस घटना ने पार्टी के अंदर गहरी नाराजगी को उजागर किया।

मप्र कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिंह यादव ने इस घटना पर तीखा हमला बोला और कहा, “भाजपा के संस्कार, संस्कृति, चाल, चरित्र और चेहरा उजागर हो गया है। गोडसेवादी भाजपा में विरोध भी गोडसे पद्धति से हुआ है। इंदौर नगर कार्यकारिणी भाजपा की तानाशाही का प्रतीक बन गई है और भाजपा के संस्कारों पर कालिख पोत दी गई है।”


🔹 कांग्रेस में भी युवा नेताओं ने खोला मोर्चा

भाजपा पर आरोप लगाने वाली कांग्रेस खुद विवादों से अछूती नहीं रही। इंदौर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने शहर अध्यक्ष चिंटू चौकसे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि चौकसे महत्वपूर्ण पद—जैसे ब्लॉक अध्यक्ष—उन नेताओं को दे रहे हैं जिन्होंने पहले कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था

इसके उलट, वर्षों से पार्टी के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। धरने पर बैठे युवा नेताओं ने चेतावनी दी कि अगर शहर अध्यक्ष अपने फैसलों पर पुनर्विचार नहीं करते तो आंदोलन और व्यापक किया जाएगा।

इसके अलावा, चिंटू चौकसे का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वे कथित रूप से सीनियर नेता दिग्विजय सिंह को गाली देते सुनाई दे रहे थे।


🔹 सियासी सवाल और भविष्य

सवाल उठता है कि जो पार्टी दूसरों पर “संस्कारहीनता” और “गोडसेवादी” होने का आरोप लगा रही है, क्या वो पहले खुद अपने भीतर झांकने को तैयार है?

इंदौर की सियासत में यह विवाद केवल कार्यकारिणी तक सीमित नहीं रह गया। यह दोनों पार्टियों की अंदरूनी कलह और सत्ता संघर्ष का प्रतीक बन चुका है।

राजीव टाइम्स की नजर इस पर बनी रहेगी कि इंदौर में यह सियासी घमासान कहाँ तक बढ़ता है और क्या युवा कार्यकर्ताओं की बगावत का असर भविष्य में पार्टी संरचना और नेतृत्व पर पड़ेगा।

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