Madvi Hidma: कुख्यात माओवादी माडवी हिडमा को सुरक्षाबलो ने आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामाराजू जिले में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराया है। यह मुठभेड़ आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के त्रि-जंक्शन के पास मारेदुमिल्ली जंगल में हुई और इस भीषण मुठभेड़ में हिडमा की पत्नी समेत 6 अन्य नक्सलियों को भी मार गिराया गया है।

जानिए कौन था हिडमा ?
43 साल का हिडमा छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के जंगलों का कुख्तायत नक्सली था। वह छिपकर सुरक्षाबलों पर कई हमले कर चुका था और इन हमलों में वह दर्जनों पुलिसकर्मियों की जान ले चुका था।
माडवी हिडमा नक्सलियों की बटालियन को लीड करता था और उसके ऊपर सुरक्षा बलों ने 50 लाख रुपये का इनाम भी रखा था। 25 मई 2013 की खूनी झीरम घाटी की घटना को भी हिडमा ने ही अंजाम दिया था, इस घटना में बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस की टॉप लीडरशिप समेत 33 लोगों की बड़ी बेहरहमी से हत्या कर दी थी।
जिसके बाद से ही छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई एजेंसियां उसकी तलाश कर रही थीं। वही, हिडमा पर 60 जवानों की हत्या का भी आरोप है उस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 25 लाख रुपये का इनाम रखा था।

16 साल की उम्र में हुआ था नक्सली संगठन में भर्ती
मीडिया रिपोर्ट की माने तो, माडवी हिडमा 16 साल की उम्र में नक्सली संगठन में भर्ती हुआ था। गोंड समाज से आने वाले हिडमा की शादी माओवादी संगठन में आने से पहले ही हो चुकी थी, ‘दुबली पतली, लेकिन चुस्त कद काठी वाला हिडमा बहुत तेज-तर्रार था और चीजों को बहुत तेजी से सीखता था।’
माओवादियों का अपना परंपरागत एजुकेशन और कल्चरल कमेटी होता है। यहीं पर हिडमा ने पढ़ाई करने के साथ गाना-बजाना सीखा और माओवादी कमांडरों ने उसे बरगलाया, उसका ब्रेनवॉश किया और सरकारी तंत्री के खिलाफ उसके मन में नफरत भरी जिसके बाद वह खूंखार होता चला गया।

इन घटनाओं में भी आया था हिडमा का नाम
हिडमा की बटालियन दक्षिण बस्तर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा जिलों में काम करती है। ये इलाका कभी माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष का केंद्र रहा था, लेकिन अब हालात सुरक्षा बलों के पक्ष में हैं। छ्तीसगढ़ में जहां भी बड़ी वारदात हुई उसमें हिडमा का हाथ होता था, 2010 की ताड़मेटला की घटना जिसमें 76 CRPF जवानों ने बलिदान दिया या फिर झीरम घाटी या फिर दूसरी घटनाएं। पुलिस का कहना है कि, इन सभी वारदातों में हिडमा मौजूद था और उसने लगभग हर हमले का नेतृत्व किया था।

125 गांवों में की गई मैपिंग
उसकी तलाश के लिए 125 से ज्यादा गांवों की टेक्निकल मैपिंग की जा रही थी। सिक्योरिटी फोर्स छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित करीब 125 गांव का थर्मल इमेजिंग करवा रही थीं। गौरतलब है कि, बीजापुर और सुकमा का बॉर्डर ही हिडमा का गांव है। सिक्योरिटी फोर्स थर्मल मैपिंग के लिए NTRO (National Technical Research Organisation) की मदद ले रही थीं, हिडमा के खात्मे के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का खात्मा भी माना जा रहा है।





